कोरोना रोग ज्यादा घबराने वाला नहीं रह गया, पिछले सतसंगों में दवाई बताई जा चुकी हैं -सन्त उमाकान्त जी महाराज

किसी भी पशु-पक्षी का मांस, शराब अफीम आदि नशे की गोलियों का सेवन मत करो

अनजान में बनी गलती की तो फिर भी माफ़ी हो सकती है लेकिन जान कर गलती करोगे तो उनकी जल्दी माफ़ी नहीं होती।

बावल (हरियाणा)
मनुष्य को छोटी-बड़ी गलतियों और उसी मिलने वाली कठोर सजा के बारे में एडवांस में ही स्पष्ट रूप से बता समझा कर बचाने वाले, चरम पर पहुँचते इस कलयुग में बिगड़ती व्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए इस धरती पर अवतरित सबके पिता सतपुरुष के साक्षात अवतार, कोरोना जैसी असाध्य जानलेवा बिमारी का भी अचूक इलाज समय रहते बता कर भारी संख्या में लोगों की जान बचाने वाले, समय के महापुरुष को लोग पहचान नहीं पाते तो इस बार भी लोगों द्वारा जिनकी बातों को, पॉवर को इगनोर किये जाने के बावजूद दिन-रात उन्ही की भलाई में लगे रहने वाले, कभी भी न हार मानने वाले, जिनमे सजा देने वाला अंग ही नहीं है यानी जो केवल दया कृपा आशीर्वाद ही देते हैं ऐसे इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, परम दयालु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 21 दिसम्बर 2022 प्रात बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि देखो निरंतर सेवा भजन करने से मिलने वाली कर्मों की सजा से बचत हो जाती है। जो जान करके गलती करता है उसको सख्त सजा मिलती है इसलिए कभी भी किसी भी पशु-पक्षी का अंडा, मांस नहीं खाना है।

ऐसे किसी भी नशे का, शराब, अफीम का, तमाम नशे की गोलियां जो चल गई, जो बुद्धि को भ्रष्ट कर देती हैं, ऐसे बुद्धि नाशक नशे का सेवन मत करना नहीं तो आपको ज्यादा सजा मिलेगी। अनजान में हुई गलती की माफी भी मिल जाती है इसलिए जान करके ऐसी कोई गलती मत करना जिसकी वजह से शरीर और जीवात्मा को सजा मिल जाए।

जब अत्याचार पापाचार हिंसा हत्या ज्यादा बढ़ जाता है तब कोई न कोई शक्ति परिवर्तन के लिए आती है

बराबर सब लोग शाकाहारी का प्रचार करते रहना। लोगों को सुधारने के लिए समय निकालो। खराब समय आएगा ही आएगा। अच्छा और खराब समय, पुण्य और पाप दोनों रहा है। कलयुग सतयुग त्रेता द्वापर आते रहे हैं। ठंडी न आवे तो गर्मी का पता नहीं चलेगा और गर्मी न आवे तो ठंडी का अनुभव नहीं होगा। यह प्रकृति का नियम है, चक्र है। जब अत्याचार पापाचार दुराचार बढ़ जाता है, मारकाट हिंसा हत्या धोखाधड़ी चोरी बेईमानी अच्छे काम में बाधा आदि सब जब होती है तो अवतारी शक्तिया सन्त आए। कोई आता ही है परिवर्तन करने वाला।

दवा मालुम पड़ने के बाद कोरोना रोग को सर्दी जुखाम की तरह से समझने लगे

लेकिन समझाते-समझाते, बताते-बताते रास्ते पर चलाते-चलाते ही बहुत से लोग चले जाते हैं। जैसे दवा खोजते-खोजते ही बहुत से लोग कोरोना रोग में दुनिया से चले गए जैसे टीबी चली थी, रोते थे लोग। जैसे अन्य रोग आए, लोग रोते रहे की दवा नहीं मिल रही, दवा फायदा नहीं कर रही, देखो लड़की लड़का पति पत्नी ससुर मर गए। लोग चिल्लाते रहे। जब इलाज खोज लिया गया और संयम-नियम उस तरह से लोगों ने कर लिया कि उस तरह का रोग न हो तो अब उसको साधारण सर्दी जुखाम की तरह से समझने लगे।

बराबर आगाह किया जाए लोगों को तो सुधार बदलाव आ जाता है

इसी तरह से कोरोना भी ज्यादा घबराने वाला नहीं रह गया है। दवाई खोज ली गई। बहुत सी प्रकृति से मिलने वाली चीजें पहले आपको सतसंगो में बताई गई थी कि इन पौधों को घर में लगाओ, इनको पीने, इस्तेमाल करने से तुमको फायदा मिलेगा। लोगों को मालूम हो गया। बहुत लोग काढ़ा वगैरह अब बना करके पी लिया करते हैं कि जिससे कोई जर्म्स (कीटाणु) इस तरह के शरीर के अंदर आ गए हो तो उनका असर न हो। लेकिन यह शोध करने में ही, समझाने बताने और जानकारी कराने करने में ही बहुत से लोग संसार से चले जाते हैं। अगर लोगों को बराबर आगाह किया जाए, यह नियम बना लिया जाए, सुधार बराबर किया जाए तो लोगों में बदलाव आ जाता है।

आप गुरु के बंदे हो, लोगों को सुधारने का समय निकालो, इससे आपका और दूसरों का होगा उपकार

आपको जैसे बताया कि किस-किस तरह से राजा लोगों ने प्रजा को सुधारा, महात्माओं ने कैसे कितने लोगों को सुधार दिया तो आप गुरु महाराज के बंदे हो। प्रेमियों! आप इस बात का प्रयास करते रहो कि हम भी कुछ अच्छा, परोपकार का काम करते रहें क्योंकि मनुष्य ही परोपकार कर सकता है अन्य नहीं कर सकते। कुछ परोपकार में भी समय निकालते रहो। इससे आपका और दूसरों का भी उपकार होगा। बोलो जयगुरुदेव।

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