अय्यामे फातमिया पर मंझनपुर में मजलिस का आयोजन

गौरव सतीश गोयल की रिपोर्ट

मंझनपुर के हज़रतगंज मोहल्ले में अय्यामे फातमिया पर मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस में नबी ए करीम की बेटी बीबी फातिमा जहरा के फजायल और मसायब बयान किए। मजलिस की शुरुआत कुरआन ए मजीद की तेलावत से की गई। मजलिस को मौलाना सैयद कौसर अब्बास ने पढ़ा।


कस्बे के हज़रतवंज मोहल्ले के इमाम बारगाह मीरा मिया में अय्यामे फातमिया के सिलसिले में मजलिस का आयोजन किया गया। कुरआन की तिलावत सैयद ज़ीशान रिज़वी ने किया। सोजख्वानी ,मोहम्मद यासीन व लियाकत अली ने किया। मजलिस को मौलाना सयैद कौसर अब्बास ने पढ़ा। उन्होंने पढ़ा कि हमारे प्यारे नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स) की प्यारी बेटी हजरत फातिमा जहरा (स.अ) की वेलादत बा सादात मक्का में हुई। तारीखे आलम इस अजीम खातून की मिसाल पेश नहीं कर सकती। आप उम्मत की ख्वातीन के लिए बेहतरीन और काबिल तकलीद नमूना हैं। आप का लकब बतूल इसलिए था कि आप अपने दीन और शरफ की वजह से तमाम औरतों से यागाना थी। आप से शादी करने के लिए सरदाराने अरब ने पैगाम भेजा, लेकिन हुजूर अकरम ने उनका पैगाम कुबूल नहीं किया।

जब हजरत अली (अ.स) ने हुजूर की खिदमत में हाजिर होकर शादी करने की बात रखी तो अल्लाह के हबीब ने ये पैगाम मंजूर फरमा लिया। आप एक ऐसी मां थी जिन के आगोश में इमाम हसन (अ.), इमाम हुसैन (अ.), बीबी जैनब (स.) और बीबी उम्मे कुलसूम (स.) जैसी औलादें परवान चढ़ीं। जनाब फातिमा इस्लाम में ख्वातीन के मरतबे की अजमत हैं। हुजूर अकरम की वफात के नब्बे दिन के बाद तीन जमादि उस सानी 11 हिजरी को बीबी फातिमा भी वफात पा गई। आपकी वसीयत के मुताबिक जन्नतुल बकी में रात के समय सुपुर्द ए खाक किया गया। बीबी के मसायब सुन अजादार अपनी आंखों से अश्क रोक नहीं सके और जारो कतार रोने लगे। मजलिस का एदमाम मोमेनीन मंझनपुर की तरफ से किया गया

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