सांसद पीपी चौधरी को मिली एक और संसदीय समिति की कमान

नई दिल्ली
ललित दवे

जन विश्वास (संशोधन प्रावधान) विधेयक 2022 पर बनी संयुक्त संसदीय समिति के बने अध्यक्ष
छोटी-छोटी गलतियों के लिए अब सिर्फ होगा जुर्माना, अदालतों के नहीं लगेंगे चक्कर

लोकसभा अध्यक्ष के निर्देशानुसार पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एवं पाली सांसद पीपी चौधरी को संसद की एक और समिति का अध्यक्ष बनाया गया है | विदित है कि सांसद चौधरी वर्ष 2019 से संसदीय विदेश मामलों की स्थाई समिति के अध्यक्ष पद पर कार्यरत है इसके साथ ही एक और अतिमहत्वपूर्ण संयुक्त संसदीय समिति, जन विश्वास (संशोधन प्रावधान) विधेयक 2022 का अध्यक्ष बनाया गया | इसके पूर्व, सांसद चौधरी की अध्यक्षता में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन विधेयक-2019 पर बनी संसदीय संयुक्त समिति ने भी पिछले वर्ष अपनी रिपोर्ट पेश की थी | इस रिपोर्ट की देश की सभी राजनैतिक पार्टीयों द्वारा सांसद चौधरी की तारीफ की गयी |
हाल ही में सांसद चौधरी की कार्यशैली की विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने भी लोकसभा कार्यवाही में तारीफ की और कहा सांसद चौधरी की अध्यक्षता में समिति ने अनेक महत्वपूर्ण सुझाव सरकार को दिए है और सरकार ने लगभग उनके सभी सुझाओं को माना है |
संसद के इसी शीतकालीन सत्र के दौरान यह जन विश्वास (संशोधन प्रावधान) विधेयक 2022 बिल लाया गया और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अध्ययन एवं विचार-विमर्श के लिए इस बिल को संसद के दोनों सदनों यथा लोक सभा एवं राज्य सभा की 31 सदस्यीय संयुक्त समिति को भेजने की सिफारिश की थी।


समिति के गठन के कारण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे तमाम वैसे कानूनों को खत्म करती आ रही है, जो अब प्रचलित नहीं है या जिनका आज कोई औचित्य नहीं है। कई कानून बदले जा चुके हैं और कई को बदलने की प्रक्रिया चल रही है। इसी दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए सरकार चाहती है कि देश में कई सारे ऐसे कानून हैं, जिसमें छोटी-छोटी गलतियों के लिए लोगों को सजा दी जाती है, उन पर कानूनी कार्रवाई होती है और उन्हें अदालतों के चक्कर लगाने होते हैं ,ऐसे सभी कानूनों को सरकार ने इस जन विश्वास (संशोधन प्रावधान) विधेयक 2022 संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया है | यह समिति 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 अलग-अलग कानूनों में 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने या जुर्माना लगाकर न्यायसंगत रखने पर विचार विमर्च कर बजट सेशन 2023 के दूसरे सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। जनता एवं व्यापारियों के विश्वास को केन्द्रित करते हुए इसका नाम जन विश्वास (संशोधन प्रावधान) विधेयक 2022 रखा गया है | इस बिल के पास होने से अदालतों पर भी ऐसे मुकदमों का भार कम होगा |
संशोधित हो रहे कुछ महत्वपूर्ण अधिनियम
जिन कानूनों को संशोधित किया जा रहा है, उनमें ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम 1940, लोक ऋण अधिनियम 1944, फार्मेसी अधिनियम 1948, सिनेमेटोग्राफ अधिनियम 1952, कॉपीराइट अधिनियम 1957, पेटेंट अधिनियम 1970, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 और मोटर वाहन अधिनियम 1988 शामिल हैं | इनके अलावा ट्रेड मार्क अधिनियम 1999, रेलवे अधिनियम 1989, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, धन शोधन रोकथाम अधिनियम 2002, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006, लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम 2009 और फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम 2011 भी हैं |

समिति के सदस्य
लोकसभा से भाजपा के डॉ. संजय जयसवाल, उदय प्रताप सिंह, संजय सेठ, क्वीन ओझा, खगेन मूर्म, पूनम महाजन, पूनम मदाम, अपराजिता सारंगी, राजेंद्र अग्रवाल, रतन लाल कटारिया और अरविंद ब्रह्मपुरी, कांग्रेस पार्टी के गौरव गोगोई, डीन कुरियाकोस, टीएमसी पार्टी के सौगत रॉय, वाई एस आर कांग्रेस पार्टी की वी सत्यवती, द्रमुक पार्टी के ए राजा, शिव सेना से गजानन कीर्तिकर, जदयू सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्र और बसपा के गिरीश चंद्र शामिल किए गए हैं इनके अलावा राज्यसभा के भाजपा से घनश्याम तिवारी, जी.वी.ल. नरसिम्हा राव, महेश जेठमलानी, राधा मोहन अग्रवाल, कांगेस पार्टी के विवेक तन्खा, एआइटी कांग्रेस पार्टी के सुखेंदु शेखर रे, डीएमके से डा. कनिमोज्ही सोमू, आप पार्टी से एन.डी. गुप्ता, बीजेडी से सुजीत कुमार और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मस्थान राव बीड़ा को सदस्य नामित किया गया है |
कार्यकर्ताओं ने जताया आभार
इस संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष बनाए जाने पर स्थानीय कार्यकर्ताओं ने सांसद चौधरी का स्वागत किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का आभार व्यक्त किया |

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