भक्त गरीबी ही मांगते हैं, भक्ति और माया एक साथ नहीं रहती है

जब सबके सृजनहार वक्त के सतगुरु की कृपा हो जाती हैं तो असंभव चीज़ भी हो जाती है संभव

आने वाले ख़राब समय से बचाने के लिए लोगों को समझा कर मुक्ति-मोक्ष का रास्ता नामदान दिलाकर परमार्थी काम करो

उज्जैन (म.प्र.)
निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी दयालु दुःखहर्ता उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 2 जनवरी 2023 प्रात: उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि जब सबके सृजनहार वक्त के सतगुरु की कृपा हो जाती हैं तो असंभव चीज भी संभव हो जाती है। जो अपने से बड़ा हो, जो अपना रहनुमा सृजनहार हो, जिनको गुरु कहा गया। परमेश्वर को लोग देखते नहीं हैं, गुरु ही परमेश्वर की पहचान कराते हैं, परमेश्वर प्रभु के बारे में बताते हैं। गुरु के आदेश का पालन करना चाहिए। उनके वचनों को मान करके चलना चाहिए।

मानवता का संदेश लोगों तक पहुंचाओ

आप लोग इन बातों को मत भूलो जो आपके मन में यहां सतसंग में आया है, सोच करके जा रहे हो। इनमें लगो। गृहस्थ धर्म का भी पालन करते रहो लेकिन मानवता के संदेश को भी लोगों तक पहुंचाओ। लोगों को शाकाहारी नशा मुक्त बना करके आने वाले खराब समय से बचाओ। लोगों की आत्मा को निजात, मुक्ति-मोक्ष दिलाओ, नामदान दिलाकर के भजन ध्यान सुमिरन कराओ, जो नाम दान ले चुके हैं उनको सुमिरन ध्यान भजन कराओ।

ये कर ले जाओगे तो आप अच्छे सच्चे परोपकारी बन जाओगे

इसकी आप बना लो योजना। जिम्मेदार लोग जिनको संगत में काम करने का अनुभव है, जो संगत को बढ़ा रहे, लोगों को जोड़ रहे हैं, लोगों के दु:ख तकलीफों को दूर करने में कार्यकर्ता जिम्मेदार लगे हुए हैं, उनके साथ बैठो। आप क्या कर सकते हो, उनको बताओ। योजना बनाकर के फिर गुरु के नाम काम को आगे बढ़ाओ। काम उनका अगर कर ले जाओगे तो इससे बहुत से लोगों का भला हो जाएगा और आप अच्छे सच्चे परोपकारी बन जाओगे।

भक्ति और माया दोनों इकट्ठा नहीं रहती है

महाराज जी ने 19 अक्टूबर 2020 सायं उज्जैन आश्रम में बताया कि भक्ति और माया दोनों सौतन है। एक पति की दो औरत सौतन कहलाती है। एक आदमी ने दुसरे से कहा यह दो औरतें आपकी गाड़ी में बिना बात किये हुए कैसे बैठी है? इन दोनों का रिश्ता क्या है? तो उसने कहा जो हमारी गाड़ी का नंबर है। 203( दो सौतीन)। वह भले ही बात न करें नहीं तो बातें करती रहेगी। माया और भक्ति में बड़ा जमीन-आसमान का विरोध है (सौतन की तरह)।

भक्त गरीबी ही मांगते हैं

कहा है दीन गरीबी मांग, तेरे भले की कहूं। भलाई इसी में होती है कि साईं इतना दीजिए जामे कुटुंब समाय, मैं भी भूखा न रहूं साधु न भूखा जाए। यह भाव होता है भक्तों में। आप भक्ति भी करते हो, कहते हो मैं भगत हूं और दुनिया की इच्छा भी खत्म नहीं हो रही है। तो एक म्यान में दो तलवार कैसे रह सकती है? या तो दुनिया की धन दौलत ऐश आराम ले लो या फिर भक्ति अपनी पक्की कर लो, अविरल भक्ति पा जाओ। तो गरीबी मांग लेते हैं। कहा है सांई अपने भगत को रुखी रोटी दे, चुपड़ी मांगे मैं डरूं रूखी छीन न ले।

आप परमार्थी सतसंगी साधक हो, थोड़ी-थोड़ी बात पर उलझो मत

महाराज जी ने 2 अक्टूबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि प्रारब्ध सबके साथ जुड़ा हुआ है। अपने प्रारब्ध पर विश्वास करो। आप थोड़ी-थोड़ी बातों के लिए उलझो मत क्योंकि आप परमार्थी, साधक, सतसंगी हो। दुनियादारों की तरह से लड़ो मत। देखो लोग उदाहरण देते हुए कहते हैं कि कुत्ते की तरह से क्यों लड़ रहे हो? उनका तो स्वभाव, आदत ऐसी होती है कि कुत्ता, कुत्ता को देखकर के भौंकता, हमला करता ही है तो आप उस स्वभाव में क्यों जाओ? मानव, देव स्वभाव में रहो।

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