निंदा अपमान से दूर रहो, निंदा करने से दुसरे के कर्मों का बोझ आता है फिर सजा तकलीफ भोगनी पड़ती है

जान-अनजान में हुई गलतियों की माफी उस मालिक से बराबर मांगते रहो, समझ में आने पर गलती मत दोहराओ

ज्यादा से ज्यादा जानने समझने की इच्छा रखो जिससे साधना में तरक्की और कर्मों से बचाव हो

उज्जैन (म.प्र.) 
अंदर में प्रेरणा दे कर गलत कामों से अपने बच्चों को बचाने वाले, बाहर शारीरिक दु:खों के आने के कारणों को और उनसे बचने के उपाय बताने वाले, सबके आगे बढ़ने, फलने-फूलने के लिये प्रार्थना करने वाले, अपना समय बिलकुल भी खराब न कर अपनी आत्मा के उद्धार में लगने कि शिक्षा देने वाले, इस समय के युगपुरुष, त्रिकालदर्शी, दयालु, दुःखहर्ता, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 13 अप्रैल 2021 सायं उज्जैन आश्रम में नवरात्रि/गुड़ी पड़वा पर्व पर दिये व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बराबर उस मालिक से प्रार्थना करते रहो कि जान-अनजान में जो भी गलती हो गई, उसकी माफी दे दो, माफ कर दो और दोबारा गलती न करने का संकल्प बना लो। माफी तो हम आप मांगते हैं लेकिन स्वभाववश, आदतवश वही गलती दुबारा कर बैठते हैं। तो गलती न होने पावे। जिस चीज को आप समझो कि हमसे गलत हो रहा है, हम गलत बोल रहे हैं या खाने-पीने में शरीर के सुख के इस्तेमाल करने में लिमिट से ज्यादा हो रहा है, जरूरत से ज्यादा हम खा रहे, ऐश आराम कर रहे हैं तो फिर गलती मत करो। उतना ही उपयोग उपभोग करो जिससे शरीर आराम से चलता रहे और भजन में मन लगे। मन के कहने पर शरीर को दोषी मत बनाओ। अनुभव जब जिस किसी चीज का हो जाता है फिर उसको नहीं किया जाता है। जैसे कोई चीज बहुत अच्छी लगी, खा लिया, डकार आने लग गई, उठना-बैठना मुश्किल हो गया या लैट्रिन पतली हो गई, कई बार शौच के लिए जाना पड़ गया तो यह आभास हो जाता है कि देखो हमारा आहार-विहार खराब होने से तकलीफ हुई। इसलिए आहार-विहार को शुद्ध कर लिया जाए, दोबारा फिर गलती न किया जाए। जो चीज की जानकारी हो गई कि मेरे से गलत हो रहा है, गलती हो गई वो दोहराया न जाए।

कर्मो की सजा भोगनी पड़ती है

आप यह नहीं जान पाते हो कि कहां हमने खा लिया, किसकी आत्मा को तकलीफ दे दिया, किसके अंदर दु:ख पैदा कर दिया और उसकी आत्मा दु:खी हो गई, इस शरीर से हमने ऐसा कौन सा कर्म किया? आंख से किसको किस भाव से देखा? कान से किसकी, किस तरह की बात को मन के मुताबिक सुना जो मन को अच्छा लगा, जो निंदा अपमान किया, इन चीजों के कर्म आ जाते हैं तो इसे आप समझ नहीं पाते हो। कर्म आने पर उसकी सजा भोगनी पड़ती है। इस समय पर जो तकलीफ, बीमारियां आ रही हैं वो जान-अनजान में बन रहे कर्मों की ही सजा है। बार-बार कहा जा रहा है शाकाहारी रहो ,जीवों पर दया करो, मांस मत खाओ। जीव हत्या करने के बाद ही जीवों के मांस को निकालकर के लोग बेचते हैं, आप खरीद कर लाते हो। बहुत से लोग मारकर खा जाते हो तो मत खाओ। अंडा मछली मांस मत खाओ। इनके अंदर भी उसी मालिक की जीवात्मा है। उनको भी जीने का हक है। उस अंडे को बच्चा बनकर के इसी धरती पर रहने का, यहीं का दाना चुगने का अधिकार है। उसके अधिकार को मत छीनो हो। लेकिन अगर आप नहीं मानोगे तो आपके द्वारा जो आत्माएं प्रेत योनि में गई, भटकने लग गई तो वो सजा देगी कि नहीं देगी? इस मांस अंडा मछली खाने की लत में पड़े हुए को यह नहीं मालूम होता है कि हमको क्या सजा भोगनी पड़ेगी। इसलिए बचो और बचाओ।

ज्यादा से ज्यादा जानने समझने की इच्छा रखो

बाबा उमाकान्त जी ने 15 फरवरी 2021 सायं पैण्ड्री आश्रम, दुर्ग (छत्तीसगढ़) में बताया कि जितनी भी जानकारी प्रेमियों आपको हो गई है कि यह बुरा कर्म है, उससे हमेशा बचो। बल्कि साधकों से और जानने की इच्छा रखो कि इसके अलावा भी और बुरे कर्म क्या है? और कौन-कौन सा हम परहेज रखें जिससे हमारी साधना बनने लग जाए, हमारे ऊपर कर्म न आवे, हमारे भजन में जिससे बाधा न पड़े। इसलिए बराबर लोगों से पूछते-समझते रहो।

निंदा अपमान से दूर रहो

बाबा उमाकान्त जी ने 29 मार्च 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में होली कार्यक्रम में बताया कि सब लोग प्रेम से रहो। नियम-कानून का पालन करो। अधिकारियों कर्मचारियों का सम्मान करो। किसी भी जाति, धर्म, मजहब किसी के भी मानने वाले देवी-देवता, पीर-पैगंबर की निंदा मत करो। कोशिश करो किसी की भी निंदा आपके मुंह से न निकले। निंदा का जो पाप, कर्म होता है वो निंदा करने वाले के ऊपर आ जाता है, उसको भोगना पड़ता है, दु:खदाई हो जाता है इसीलिए निंदा तो करो ही नहीं। निंदा-अपमान से दूर रहो। कोई आपकी निंदा करें तो सुन लो, समझ लो कि हमारी सफाई हो रही है, वो कर्मों को काट रहा है। कहा है निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना निर्मल होय सुहाय। निंदा भी कोई करे तो दु:खी मत हो। अगर जवाब देने लायक है तो जवाब दे दो, आपको भूल-भ्रम हो गया है जो आप मेरे मुंह पर ऐसी बात कह रहे हो, समझा दो उसको। कोई आपकी प्रशंसा करे तो भी आपको खुश नहीं होना चाहिए। प्रशंसा से अगर खुश होगे तो निंदा जब करेगा तो दु:खी हो जाओगे। इसीलिए न प्रशंसा की खुशी, न निंदा अपमान का दु:ख। मस्त रहो। जाही विधि राखे गुरु, वाही विधि रहिए। गुरु को जब समर्पित कर दोगे, अपने को सरेंडर कर दोगे तो जैसे भी गुरु आपको रखें वैसे ही रहना है। सेवक को सुख नहीं रहता है। हमको अपनी आत्मा की सेवा, शरीर, बच्चों, समाज, देश की सेवा करनी है तो सुख कहां मिलेगा? इस चीज का ध्यान रखो प्रेमियों। और आप लोग खुशहाल रहो, सुखी रहो। आप जिनको शाकाहारी बनाओ, सभी के लिए हमारी यह शुभकामनाएं। गुरु महाराज से आपके आगे बढ़ने, फलने-फूलने के लिये आज होली के दिन हमारी प्रार्थना है।

बाबा उमाकान्त जी महाराज के आगामी प्रस्तावित सतसंग व नामदान कार्यक्रम

21 जनवरी 2023 को प्रातः 10 बजे से आई माता मंदिर, विकोटा, आंध्र प्रदेश में, 22 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजे से आर.एस कन्वेंशन हॉल, होसुर मालूर रोड़, एन. एच – 207, मालूर, कोलार, कर्नाटक (संपर्क 9575600700) में समय परिस्तिथि अनुकूल होने पर होगा।

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