मौनी अमावस्या को सन्दीपन घाट में श्रद्धालुओं ने लगाईआस्था की डुबकी

घाटो की व्यवस्था दयनीय

नही बने हुए महिलाओं के कपड़े बदलने की ब्यवस्था

आर पी यादव ब्यूरो चीफ

कौशाम्बी :–शास्त्रों के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। इस अमावस्या तिथि को ‘मौनी’ कहने के पीछे यह मान्यता है, कि इसी पावन तिथि पर मनु ऋषि का जन्म हुआ था, और मनु शब्द से इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मौन रहकर ईश्वर की साधना की जाती है, इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार यह तिथि शनिवार को होने के कारण इसका धार्मिक और ज्योतिष महत्व और भी बढ़ जाता है।

कौशाम्बी सन्दीपनघाट जो गंगा नदी के किनारे उलाचुपुर ग्राम सभा के अन्तर्गत आता हैइस घाट में लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना किया। इस मौनी अमावस्या का महत्व
माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में होता है,तब तीर्थराज यानि प्रयागराज में देव,ऋषि,किन्नर और अन्य देवतागण तीनों नदियों के संगम में स्नान करते हैं। मान्यता है, कि इस दिन मौन व्रत धारण कर प्रभु का स्मरण करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है,प्राणी की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। पुराणों के अनुसार इस दिन सभी पवित्र नदियों और पतितपाविनी माँ गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करने चाहिए,ऐसा करने से उसके पूर्वजन्म के पाप दूर होते हैं।

मान्यता है, कि इस दिन पीपल के वृक्ष तथा भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करना विशेष फलदाई है। इस तिथि को मौन एवं संयम की साधना,स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं हो तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें मन में किसी तरह की कुटिलता का भाव नहीं आने दें। प्राचीन काल में कांचीपुर में एक बहुत सुशील गुणवती नाम की कन्या थी। विवाह योग्य होने पर उसके पिता ने जब ज्योतिषी को उसकी कुंडली दिखाई तो उन्होंने कन्या की कुंडली में वैधव्य दोष बताया। उपाय के अनुसार गुणवती अपने भाई के साथ सिंहल द्वीप पर रहने वाली सोमा धोबिन से आशीर्वाद लेने चल दी।दोनों भाई-बहन एक वृक्ष के नीचे बैठकर सागर के मध्य द्वीप पर पहुंचने की युक्ति ढूंढ़ने लगे। वृक्ष के ऊपर घौसले में गिद्ध के बच्चे रहते थे ।शाम को जब गिद्ध परिवार घौंसले में लौटा तो बच्चों ने उनको दोनों भाई-बहन के बारे में बताया। उनके वहां आने का कारण पूछकर उस गिद्ध ने दोनों को अपनी पीठ पर बिठाकर अगले दिन सिंहल द्वीप पंहुचा दिया।वहां पहुंचकर गुणवती ने सोमा की सेवा कर उसे प्रसन्न कर लिया। जब सोमा को गुणवती के वैधव्य दोष का पता लगा तो उसने अपना सिन्दूर दान कर उसे अखंड सुहागिन होने का वरदान दिया। सोमा के पुण्यफलों से गुणवती का विवाह हो गया वह शुभ तिथि मौनी अमावस्या ही थी।


अमावस्या तिथि 21 जनवरी, शनिवार को प्रात:काल 06:17 बजे प्रारंभ होकर 22 जनवरी , रविवार को पूर्वाह्न 02:22 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार इस साल 21 जनवरी को ही मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जायेगा।

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