बाजारों में खाने-पीने वाली चीजों में मांस से निकला चर्बी का तेल मिला देने, खाने से नई-नई बीमारियां आ रही हैं

पानी की तलाश में भटकते मृगा की तरह से लोग सुख-शांति की तलाश में भटक रहे हैं, भटके को रास्ता बताना पुण्य का काम है

आने वाले भयानक समय से बचने-बचाने के लिए शाकाहारी नशामुक्ति का करो प्रचार-

राम नगरम (कर्नाटक)
इस समय मनुष्य को जिस चीज की सबसे ज्यादा जरुरत है, उसे प्राप्त करने का सरल रास्ता बताने वाले, शरीर और आत्मा की बीमारीयों को दूर करने वाले, घर-घर में फैली तकलीफ व अशांति का कारण और उपाय बताने वाले, सर्व व्यापक, सर्व शक्तिमान, इस समय के युगपुरुष, त्रिकालदर्शी, दयालु, दुःखहर्ता, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 23 जनवरी 2023 सायं रामनगरम (कर्नाटक) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि मन को रोकने के लिए की जाने वाली रोज (प्रतिदिन) वाली सेवा क्या होती है? भटके हुए आदमी को रास्ता बताना। बुजुर्ग कहते हैं कि यह पुण्य का काम होता है। लोग भटक रहे हैं जैसे पानी की तलाश में मृग भटकता रहता है, ऐसे ही आदमी शांति की तलाश में भटकता रहता है।

आदमी को सुख-शान्ति न मिलने का कारण

पूजा-पाठ, हवन, जप-तप, धार्मिक अनुष्ठान आदि बहुत करने पर भी शांति नहीं मिलती है। शांति अगर मिल जाए तो आदमी एक जगह रुक, बैठ जाएगा। पूजा-पाठ कबूल न होने का, शांति न मिलने का कारण है कि यह मनुष्य शरीर पाने का मतलब ही नहीं समझ पाये। भगवान की प्राप्ति करने के लिए मनुष्य शरीर मिला है लेकिन गंदी जगह से भगवान को याद करोगे तो वह ध्यान नहीं देगा। जैसे मानव के बनाए मंदिर में कोई मुर्दा मांस ला करके डाल दें तो कोई पूजा-पाठ नहीं करता, ऐसे ही इस मानव मंदिर में मुर्दा-मांस डाल कर इसे गंदा कर दिए।

जो मनुष्य में जीवात्मा वही मुर्गा, भैंसा, बकरा में भी है

बच्चा मर गया, आदमी से जान निकल गई तो उसको मुर्दा कहते हैं। ले जाते हैं, जलाते हैं। जब जला करके आते हैं तब हाथ पैर धोते नहाते, कहते हैं ये जरूरी है क्योंकि मुर्दा जलाकर के आए हैं। तो यही जीवात्मा मुर्गा, भैंसा, बकरा में डाली गई है। उसकी जीवात्मा जब निकलेगी वह भी तो मुर्दा हुआ। उसे खाना नहीं चाहिए। लेकिन उसके मांस को आदमी खाने लग गया तो मनुष्य शरीर, मानव मंदिर गंदा हो गया तो पूजा-पाठ कबूल नहीं होता है।

अशांति तकलीफ का दूसरा कारण

जो चीज आदमी खाता है उसी का बनता है खून। अनाज फल से अलग और मांस मछली खाने से अलग खून बनेगा। मनुष्य का खून शाकाहारी है, जब कोई मांस खाएगा उसका खून बनेगा तो मेल नहीं खाता है। मांसाहारी जानवर हैं जैसे कुत्ता है, कितना क्रोधी है, एकदम से क्रोध में दौड़ता है, तो (वैसे बना खून) गर्म होता है, दिमाग में चढ़ जाता है, मांसाहारियो को क्रोध बहुत आता है।

मांस से निकला चर्बी का तेल मिला देने से नई-नई बीमारियां आ रही हैं

आप कहो तो बता दूंगा इसी (भीड़) में बता दूंगा (लोगों को जो) आदमी अपने आपे से बाहर हो जाता हैं। अपनी और दूसरों की पहचान खत्म हो जाती हैं। औरतों में, आदमियों में भी गुस्सा आता है। यह सब मांसाहार की वजह से है। ये सब खाने-पीने वाली चीजों में मांस से निकला हुआ चर्बी का तेल आदि मिला देने के खाने की वजह से हुआ। यह नई बीमारियां मांसाहार की वजह से हो रही है। इसलिए कहा जाता है कि शाकाहारी रहो। शाकाहारी का प्रचार तो कर ही सकते हो, क्योंकि आगे बीमारियां बहुत आ रही है।

आने वाले भयानक समय से बचने बचाने के लिए शाकाहारी का प्रचार करो

आगे का समय बहुत खराब आ रहा है। उससे लोगों को बचाने के लिए तो आप अपने शरीर को लगा ही सकते हो। उससे आप अपने शरीर के द्वारा किए हुए कर्मों को तो काट ही सकते हो। सुमिरन ध्यान भजन में मन जब न लगे, प्रार्थना करने पर भी जब सुनवाई न हो, कर्म आड़े आ जाएं तो प्रचार-प्रसार, सेवा करो, शाकाहारी का प्रचार करो, भटके हुए लोगों को बताओ-समझाओ, यह काम करो। उससे आपके कर्मों की सफाई होगी।

error: Content is protected !!