अभी दया बराबर काम कर रही है, अबकी चूके तो अगला नाविक आपसे प्रेम करे न करे, आपको तवज्जो दे न दे, समय बताएगा

पूर्ण सन्त के सतसंग में बिना पूछे शंका दूर हो जाती है

सन्तमत में प्रैक्टिकल पहले होता है, थ्योरी बाद में

उज्जैन (म.प्र.)
इस समय धरती के प्रकट सन्त, बाहरी जड़ भौतिक पूजा-पाठ से बहुत आगे प्रभु को प्राप्त करने का वो अति गोपनीय भेद खोलने वाले, शंकाओं को दूर करने वाले, पहले प्रायोगिक फिर थ्योरी करवाने वाले, प्रभु को और अंतर में अपने जलवे को दिखा कर प्रेम जगाने प्रगाढ़ करने वाले, जीवात्मा की डोर पकड़ कर खींचने वाले, खेवनहार, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 27 अप्रैल 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जब सन्तमत नहीं था, सन्तों का प्रादुर्भाव इस धरती पर नहीं हुआ था, केवल गुप्त सन्त थे, सतलोक का भेद जानने वाले नहीं थे, संभाल तो करते रहते थे लेकिन जब लोगों के कर्म ज्यादा खराब होने लग गए तब सतपुरुष ने अपने स्थान से अपने 16 सुतों में से जोगजीत को भेजा तब उन्होंने यहाँ आकर सारा (अंतर का) भेद खोल दिया और (लोगों को) हर तरह की जानकारी हो गई।

पूर्ण सन्त के सतसंग में बिना पूछे शंका दूर हो जाती है

महाराज जी ने 1 सितंबर 2021 प्रात: जोधपुर आश्रम में बताया कि गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव जी) के सतसंग में हर किसी की शंकाएं बगैर पूछे ही दूर हो जाती थी। पहले लोग सवाल करते थे जैसे अव्वल नंबर परसेंटेज लाने, सबसे आगे बढ़ने, तरक्की की चाह रखने वाले अच्छे विद्यार्थी, एक-दूसरे से बात, डिस्कस करते रहते हैं तो भूली हुई चीज याद आ जाती है। बहुत से वक्ता (उपदेशक) भी एक दूसरे से पूछते, समझते, सुनते, ग्रहण करते रहते हैं लोगों को बताने और समझाने के लिए। तो तौर तरीके से, कोई उदाहरण देकर समझाते थे और वह उदाहरण जिसमें उन्होंने बताया समझाया उसमें भी कुछ न कुछ रहस्य और राज छोड़ कर के गए। अब लोग कह तो देते हैं लेकिन उसका मतलब लोग खूब ठीक से नहीं समझते हैं, हल्के में लेते हैं।

सन्तमत में प्रैक्टिकल पहले होता है, थ्योरी बाद में

महाराज जी ने 29 मार्च 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि सन्तमत सबसे आल्हा मत कहा गया है। सन्त उनको कहते हैं जिनको शुरुआत से लेकर के आखिर तक की जानकारी होती है, जो आदि और अंत दोनों को जानते हैं और समझाने बताने बोध कराने की भी जानकारी कराते हैं, उनके मत (विचार) में, सन्तमत में प्रैक्टिकल पहले होता है और थ्योरी बाद में। अभ्यास पहले करा देते हैं और जानकारी बाद में होती रहती है। तो जिसको देखोगे नहीं, उससे प्रेम जल्दी पैदा नहीं होता है। और जब नाम सुनते हैं, कोई बताता है कि इस तरह के हैं, उसकी कोई तारीफ करता है, किसी व्यक्ति के बारे में बताता है तो याद तो उसको करते हो, उसे प्रेम हो जाता है लेकिन प्रेम पक्का नहीं होता है। उस प्रेम में मजबूती, प्रगाढ़ता नहीं आती है क्योंकि देखते नहीं हो। लेकिन जब याद करते रहते हो तो उसको भी याद आती है क्योंकि धुरी से ही सब जुड़े हुए हैं। कहते हैं- आपकी याद आई तो हम चले आए हैं। बोले अरे! कई दिनों से मैं भी आपको याद कर रहा हूं। ऐसे ही जब याद करते हैं तब तार जुड़ जाता है। जब मिल जाते हैं, देख लेते हैं तो प्रेम हो जाता, बढ़ जाता है।

इस समय दया बराबर काम कर रही है

महाराज जी ने 16 अगस्त 2021 सायं सीकर (राजस्थान) में बताया कि गुरु महाराज ने डोर लटका दिया है, समझ लो नाव लगा दिया है। लेकिन आप गुरु महाराज के नाम दानीयों को अब विश्वास के साथ उस पर बैठने की जरूरत है। और अगर नहीं बैठ पाओगे तो नाव तो चली जाएगी, फिर इंतजार करना पड़ेगा। फिर कब आती है नाव, क्या होता है, क्या पता? आपके कर्म कुछ ऐसे बन जाए कि आप फंस जाओ। दूसरा कोई आवे, दूसरा पतवार लेकर के अगर कोई नाविक आवे, आपसे कितना प्रेम करें? क्या करें? किस तरह करें? कैसे आपको तवज्जो दे? यह तो समय परिस्थिति के अनुसार आपको मालूम पड़ेगा इसीलिए अभी तो दया बराबर काम कर रही है।
जय गुरु देव

परम् पूज्य परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज के आगामी प्रस्तावित सतसंग एवं नामदान कार्यक्रम –

दिनांक:- 7 फरवरी 2023, दिन- मंगलवार
समय:- सायं 7 बजे से
सतसंग स्थल:- मूलकडे श्री कुमावत समाज भवन न. 61, श्री चंद्रप्रभु कॉलोनी, पोन्नीमेड्ड, मादावरम पुलिस स्टेशन के पीछे, चेन्नई (600110) तमिलनाडु।
संपर्क नंबर- 9385032149, 9940551083, 9092302351

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