संवाददाता निहाल शुक्ला
आगरा,संजय साग़र। श्रीरामचरितमानस’ पढ़ने से हमें आदर्श शिक्षा मिलती है। यह शिक्षा का अथाह महासाग़र है। जिस प्रकार साग़र के गर्भ में अनेक रत्न भरे रहते हैं, उसी प्रकार रामायण में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित शिक्षा रूपी रत्न भरे हुए हैं।
सुप्रशिद्ध एवं लोकप्रिय समाजसेवी राजेश खुराना ने अपनी राय देते हुए बताया कि श्रीरामचरितमानस’ पढ़ने से हमें आदर्श शिक्षा मिलती है। यह शिक्षा का अथाह सागर है। वाल्मीकि रामायण संस्कृत का आदिकाव्य है। हिंदी में रामचरित का सर्वश्रेष्ठ गान तुलसीदास का ‘रामचरितमानस’ है। इस महाकाव्य में सामाजिक जीवन को जीने के लिए संपूर्ण ज्ञान है। भगवान श्रीराम प्रजातंत्रवाद में विश्वास रखते हैं। सब कार्य प्रजा की इच्छा के अनुकूल करते हैं। प्रजा सब प्रकार से सुखारी है-‘रामराज्य सब प्रजा सुखारी।’ तभी तो आज तक दुनिया रामराज्य के स्वप्न लेती है। सनातन धर्म में कई धर्मग्रंथ,वेद,उपनिषद ने हमें जीवन का महत्व बताते हुए जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। श्रीरामचरितमानस हिंदुओं का प्रमुख ग्रन्थ है। यह जीवन में ना सिर्फ हमको धर्म के रास्ते पर चलने की सीख देते हैं। श्रीरामचरितमानस अवधी में लिखा गया महाकाव्य है, कुछ विघ्नं संतोषी मानसिकता के लोगों ने समाज और राष्ट्र में अशांति तथा अस्थिरता पैदा करने के लिए ग्रंथ को अपना हथियार बनाया है। कोस-कोस पर पानी बदले, पाच कोस पर बानी। इसलिए अवध क्षेत्र से ताड़ना (देखभाल) वहीं, काशी जौनपुर आते-आते ताड़लेना (समझ जाना) हो गया, तो आश्चर्य नहीं। श्री रामचरितमानस अवधी में लिखा गया महाकाव्य है, कुछ विघ्नं संतोषी मानसिकता के लोगों ने समाज और राष्ट्र में अशांति तथा अस्थिरता पैदा करने के लिए ग्रंथ को अपना हथियार बनाया है। इसलिए श्रीरामचरितमानस को घर – घर में वितरित की जाएं। जिससे परिवार, समाज को अपने ग्रंथों,पौराणिक चरित्रों को सीखना चाहिए व्यापकता से देखें, तो तुलसीदास का योगदान लोगों को जोड़ने में है तोड़ने में कतई नहीं। सच्चा मानव वही है जो सबसे समानता से पेश आता है। समान व्यवहार ही सबसे बेहतर बनाता हैं। श्रीरामचरितमानस की सबसे बड़ी सीख है सबके साथ समान व्यवहार करना। भगवान राम ने अपने पूरे जीवन काल में सभी के साथ समान व्यवहार किया। उन्होंने कभी भी लोगों को जाति, धर्म, लिंग आदि के भेदभावों से नहीं देखा, उन्होंने सभी के साथ एक ही व्यवहार रखा। उन्होंने प्रकृति और मनुष्य के बीच एक नया संबंध बनाया, जो बताता है कि सच्चा मनुष्य वही है जो सभी के साथ समान व्यवहार करे।श्रीरामचरितमानस की ज्ञानप्रद बातें अपने बच्चों को जरूर बताएं। हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे संस्कारी, सभ्य और आदर्शवादी बनें, लेकिन भागदौड़ व गला काट प्रतियोगिता के इस दौर में बहुत कम बच्चों में ही इस तरह के गुण मिलते हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा संस्कारी बने, तो आपको अपने बच्चों को जरूर देनी चाहिए। इन बातों का अनुकरण कराकर या इनके बारे में समझाकर आप अपने बच्चों को संस्कारी व आदर्शवादी बना सकते हैं। इसलिये श्रीरामचरितमानस घर – घर में वितरित की जानी चाहिए।