उत्तर प्रदेश के प्रयागराज मण्डल में कौशांबी नाम के जिले के बारे में आओ जाने

कौशाम्बी ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी है भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। 4 अप्रैल 1997 को प्रयागराज से अलग होकर नया जिला बना।

मंझनपुर जनपद का मुख्यालय है। कौशाम्बी जनपद में 3 तहसीलें हैं – सिराथू, मंझनपुर और चायल। अशोक स्तंभ भारत का दूसरा यहीं पर स्थापित था और यह स्थान अनेकों साम्राज्य का एक बहुत बड़ा केंद्र था, जैन व बौद्ध भूमि के रूप में प्रसिद्ध कौशाम्बी उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है।

कौशाम्बी, जैन धर्म के 6वें तीर्थंकर श्री पद्मप्रभ जी के जन्म स्थान एवं बुद्ध काल की परम प्रसिद्ध नगरी, जो वत्स देश की राजधानी थी।


इसका अभिज्ञान, तहसील मंझनपुर ज़िला प्रयागराज में प्रयाग से 24 मील पर स्थित कोसम नाम के ग्राम से किया गया है। इस जिले में स्थित भरवारी मूरतगंज सबसे घनी आबादी वाला नगर पालिका है जो कि खरीदारी के लिए मशहूर है। सबसे नजदीक वाला रेलवे स्टेशन भरवारी ही है जहां पर कुछ सुपरफास्ट ट्रेनो का स्टॉपेज है
इसके अलावा सिराथू, खागा मंझनपुर भी है। सैनी, खागा , मंझनपुर बस स्टॉप भी है जो कि कौशांबी को बुद्ध सर्किट से जोड़ता है ।
ऐतिहासिक दृष्टि से भी कौशांबी काफी महत्वपूर्ण है। यहाँ स्थित प्रमुख पर्यटन स्थलों में शीतला माता मंदिर है,रविदास मंदिर है जो गंगा तट पर स्थित है जो कड़ा धाम में स्थित है;


शीतला मंदिर जो 51 शक्ति पीठों में शामिल है, यहां नित्य प्रति दिन भक्तो की भारी भीड़ दर्शनों एवं मंदिर के तट पर स्थित मां गंगा में स्नान के लिए दूर दराज से आते हैं। भैरव नाथ मंदिर, ऐतिहासिक राजा जय चंद का किला, संत मलूक दास का निवास स्थान, ख्वाजा कड़क शाह की मजार, दुर्गा देवी मंदिर, राम मन्दिर बजहा, प्रभाषगिरी तीर्थक्षेत्र और बौद्ध मन्दिर उदहिन बुजुर्ग स्थित राजमहल ( यहां प्रतिवर्ष भाद्रपद मास में बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है तथा ठाकुर जी महराज का जलविहार अत्यंत प्रसिद्ध है


विशेष रूप से प्रसिद्ध है। प्रयागराज के दक्षिण-पश्चिम से 63 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कौशांबी को पहले कौशाम के नाम से जाना जाता था। यह बौद्ध व जैनों का पुराना केंद्र है। पहले यह जगह वत्स महाजनपद के राजा उदयन की राजधानी थी।


माना जाता है कि बुद्ध छठें व नौवें वर्ष यहाँ घूमने के लिए आए थे। पुराणों के अनुसार हस्तिनापुर नरेश निचक्षु ने, जो राजा परीक्षित के वंशज (युधिष्ठिर से सातवीं पीढ़ी में) थे, हस्तिनापुर के गंगा द्वारा बहा दिए जाने पर अपनी राजधानी वत्स देश की कौशांबी नगरी में बनाई थी—अधिसीमकृष्णपुत्रो निचक्षुर्भविता नृपः यो गंगयाऽपह्नते हस्तिनापुरे कौशंव्यां निवत्स्यति। इसी वंश की 26वीं पीढ़ी में बुद्ध के समय में कौशांबी के राजा उदयन थे। गौतम बुद्ध के समय में कौशांबी अपने ऐश्वर्य के मध्याह्नाकाल में थी। जातक कथाओं तथा बौद्ध साहित्य में कौशांबी का वर्णन अनेक बार आया है।

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