आज की तारीख नोट कर लो, मांसाहार से ऐसी नई-नई बीमारियां आएंगी कि रात को बीमार हुए, सवेरा नहीं देख पायेंगे

विभीषण के घर और प्रहलाद की बचत के समान अपनी बचत का उपाय ले लो

मांस, शराब के सेवन की वजह से गंदे हुए मानव मंदिर से होने वाली पूजा-पाठ नहीं हो रही स्वीकार

एरनाकुलम (केरल)
त्रिकालदर्शी होने की वजह से आने वाली बड़ी भारी आफतों से आगाह करने वाले, उससे बचने का तरीका भी समय रहते बताने वाले, इतनी धार्मिक क्रियाओं का फल न मिलने का कारण और उपाय बताने वाले, सभी जीवों पर दया करने का पाठ पढ़ाने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 12 फ़रवरी 2023 दोपहर एरनाकुलम (केरल) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो इतना पूजा-पाठ, यज्ञ-हवन, जप-तप होता है लेकिन कुदरत खुश नहीं होती है। किसी ने कह दिया बकरा मुर्गा भैंसा गाय बैल काट करके चढ़ा दो तो देवी-देवता फरिश्ते खुश हो जाएंगे तो न जानकारी में लोग काट कर के चढ़ा देते हैं। जीव हत्या का पाप लगता है जिसे कोई आदमी इंसान क्षमा नहीं कर सकता। जब तक प्रभु की दया नहीं होती तब तक क्षमा नहीं हो सकता। अज्ञानता में लोग गलती कर बैठते हैं। जीव पर दया करना चाहिए।

पूजा-पाठ क्यों नहीं हो रही स्वीकार?

ये मानव शरीर मंदिर है। इसको गंदा मत करो। इसके अंदर जब मुर्दा मांस डालोगे, फिर प्रार्थना करोगे तो कैसे कबूल होगा? देखो मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गिरजाघर में मुर्दा मांस डाल दो तो कोई पूजा करेगा? न पूजा, न नमाज, न प्रे, न गुरुग्रंथ का पाठ करेगा, कहेगा जगह गंदी है, कुबूल नहीं होगा। इंसान जो खाता है, उसी का खून बनता है। मांस खाया तो उसी का (खराब) खून बन कर शरीर के रग-रग में फैलता है। अब पैर से जाओगे पूजा करने के लिए, हाथ से फूल पत्ती प्रसाद चढाओगे, हवन करोगे, उसी मुंह से स्तुति करोगे तो स्वीकार नहीं होगा इसलिए इसे गंदा नहीं करना है।

बाबा उमाकान्त जी ने की भविष्यवाणी

आजकल बीमारियां इतनी क्यों बढ़ रही हैं? इसी कारण बढ़ रही हैं। लोगों ने कोरोना पर रिसर्च किया और आखिर में इसी रिजल्ट पर पहुंचे की मांस खाने की वजह से हुआ। जब से मांसाहार बढ़ा, बीमारियां भी बढ़ती चली जा रही हैं। अभी आपने क्या देखा है? आज आपको इसी केरल में बता कर के जा रहा हूं, ऐसी नई-नई बीमारियां आएगी कि पता नहीं चलेगा, रात को बीमार हुआ और सुबह नहीं देख पाएगा। जैसे कहते हैं चट मंगनी पट ब्याह, ऐसा होगा। आज 12 फ़रवरी 2023 की तारीख को नोट कर लो। केरल वासियों! आज की तारीख तक आपने आफत नहीं देखी है। आफतें तो अभी आगे आएंगी। लेकिन उपाय बता करके जाता हूं। अगर याद रखोगे, विश्वास रखोगे तो जैसे त्रेता में विभीषण का घर, भक्त प्रहलाद बच गए ऐसे बचत होती है।

बहुत भारी आफतें आगे आ रही हैं, युग परिवर्तन में किसकी होगी बचत?

इसी कलयुग में कलयुग जायेगा और सतयुग आएगा। युग परिवर्तन के समय बहुत मरते हैं। त्रेता से द्वापर और द्वापर से कलयुग बदला तब बहुत मरे। तो जब कलयुग जाएगा तो क्या छोड़ेगा? रगड़ाई करेगा। बचेगा साध जन कोई, जो सत से लौ लगाएगा। (नाम रूपी) कील को पकड़ने वाले साधक प्रभु प्रेमी ही बचेंगे। कहने का मतलब यह है कि सब पर दया करो। अपनी आत्मा पर भी दया करो नहीं तो समय निकला जा रहा है। सफेद और काले चूहे के समान दिन और रात उम्र काट रहे हैं।

नियम तोड़ने पर प्रकृति मिटा देगी नामो निशान

भटके हुए को रास्ता बताना बहुत बड़ा परोपकार माना जाता है। इंसान ही इसको कर सकता है, पशु नहीं। लोग भटक रहे हैं। इंसान इस वक्त पर बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है। जो समझदार हो, अखबार में पढ़ते, टीवी में देखते होगे की तुर्की का क्या हाल है। इतना बड़ा भूकंप आया। कहीं धरती हिल रही है, कहीं ओले पत्थर गिर रहे हैं, कहीं बीमारियों में इतने लोग जा रहे हैं। इनको बताने, समझाने की जरूरत है कि भाई प्रकृति के नियम के खिलाफ काम मत करो, जीवो पर दया करो, उनको मत मारो काटो, प्रकृति से छेड़छाड़ मत करो

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