छद्म उत्तराधिकारी पर लगे संगीन आरोप- धनीराम

ब्युरो रिपोर्ट मदनपाल सिंह

पीलीभीत। तहसील बरखेड़ा स्थित
पिपराखास गांव में हुए एक रूहानी सत्संग के कार्यक्रम में दिनांक 3/3/2023 को संत कृपाल नगर , संडीला, हरदोई से आश्रम के संस्थापक स्वामी दिव्यानंद जी महाराज की नातिन स्वर्ण लता गुप्ता एवम उनके पति डाक्टर मनोज कुमार गुप्ता शामिल हुए।

सत्संग में मुख्य रूप से संतमत के सिद्धांतों की चर्चा करते हुए परमात्मा से अंतर मैं जुड़ने के लिए सतगुरु के बताए रास्ते पर चलने और उनसे जुड़े रहने की बात की गई।सत्संग के बाद कुछ लोगों से बात करने पर संडीला के मुख्य आश्रम पर उत्तराधिकारी को लेकर चल रहे विवाद की बात सामने आई।उल्लेखनीय है की संडीला के संत कृपाल नगर आश्रम में विधिक उत्तराधिकारी स्वर्णलता गुप्ता के पास पिपरा खास गांव के कुछ सेवादार बच्चे रहते हैं।

आश्रम के कुछ अराजक लोग फर्जी उत्तराधिकारी देवेन्द्र मोहन सीरोग्लो उर्फ भईयाजी के उकसावे में आकर उन्हें आश्रम पर कब्जा कराने के लिए स्वार्थ में आकर सब भांति प्रयास में लगे हैं की विधिक उत्तराधिकारी स्वर्ण लता गुप्ता, उनके पति मनोज कुमार गुप्ता एवं सेवादार बच्चों को परेशान कर आश्रम से भगा दिया जाए ।

इसके लिए वो आए दिन झूठी वीडियो निकलवाते हैंऔर तमाम प्रकार के मनगढ़ंत घृणित आरोप लगाते हैं।यहां तक कि वो आश्रम की महिलाओं से भी छेड़खानी, जान से मारने की धमकी और बच्चों के अपहरण करने की धमकी जैसे संगीन झूठे आरोप लगवाने से भी बाज नहीं आते!


धनीराम जिनका पुत्र सोनू आश्रम में सेवा में है का कहना है की यदि भईयाजी मना कर दें तो वो लोग ऐसी उल्टी बातें या इल्जाम नहीं लगाते।उनका स्पष्ट इशारा है की ये सब देवेन्द्र मोहन के ही शय पर हो रहा है।उन्होंने प्रशासन से बच्चों के सुरक्षा की मांग की है ।कुछ ऐसा ही इल्जाम आश्रम में सेवारत नेत्रपाल के पिता राम कुमार एवं एक अन्य सेवादार के पिता करनपाल का भी है।

सबका कहना है की भैया जी ने २०१२ में इस्तीफा दे दिया था और स्वामी जी ने उसे स्वीकार भी कर लिया था। अब अपने व्यक्तिगत कब्जे की नीयत से देवेंद्र मोहन सीरोगलो, जो की भारत की नागरिकता भी त्याग चुके हैं,स्वामीजी के आश्रमों में आकर अपनी अलग कमेटी बनाकर सारा पैसा अपने अलग ट्रस्ट में डालते हैं जो की उनकी माता रजनी के नाम पर है।यह सब गलत है क्योंकि ये पैसे स्वामीजी के नाम पर संगत देती है और इस पर स्वामीजी की ही संस्था का अधिकार है।मास्टर किशन ने तो यह भी सनसनीखेज खुलासा किया कि देवेन्द्र मोहन ने २०१२ में अपने गुरु स्वामी दिव्यानंद जी पर बहुत गंदी वीडियो निकाली जिसे सुनना भी बड़ा मुश्किल है।यहां तक कि उन्होंने अपनी माता रजनी पर भी गंदे आरोप लगाए हैं।


ऐसी दशा में खुद को स्वामीजी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी कहना और कहलवाना बहुत ही शर्मनाक और आपत्तिजनक है।


देवेंद्र मोहन सेरोगलो को स्वामीजी की फोटो लगाकर सत्संग करने का अधिकार होना तो दूर की बात है वो तो एक शिष्य भी कहलाने के अधिकारी नहीं हैं।

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