भागवत कथा के रसपान को उमडा जन सैलाब, लगे जय श्री कृष्ण के नारे

दिलीप कुमार पाण्डेय

चायलकौशाम्बी नगर पंचायत सिराथू के कैथनबाग में भक्ति की बयार बह रही है। श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को कथा व्यास ने नरसिंह अवतार के साथ गोवर्धन लीला का संगीतमयी वर्णन किया। कहा कि जब भगवान श्री कृष्ण नंद गांव पहुंचे तो वहां पर इन्द्र के पूजा की तैयारी चल रही थी। भगवान ने यज्ञ बंद करवा दिया। इसके बाद अंहकारी इन्द्र ने भीषण वर्षा की। इन्द्र का घमंड चकनाचूर करने के लिए भगवान ने गोर्वधन पर्वत को अंगुली में उठाते हुए नंद गांव के लोगों की रक्षा की। गोवर्धन लीला का वर्णन सुन श्र्रोता भाव विभोर हो गए। जय श्री कृष्ण के जयकारे से कथा पंडाल गुंजायमान हो उठे।

कैथन बाग में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथा श्रवण के लिए भारी भीड़ जुटी। कथा का शुभारंभ यजमान सरजू प्रसाद पांडेय व उनकी धर्मपत्नी गिरजा पांडेय ने भगवत पुराण व व्याय महराज का पूजन-अर्चन कर किया। कथा व्यास आचार्य डॉ अखिलेश महराज ने श्र्रोताओं को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे गए विभिन्न राक्षसों का संहार किया। एक बार इन्द्र को अपनी अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इन्द्र की पूजा बंद कराते हुए गोर्वधन की पूजा शुरू करा दिया। इससे गुस्साए इंन्द्र ने ब्रज मंडल में भारी बरसात किया। जल प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने कन्ष्ठिा उंगली से गोर्वधन पर्वत को उठा लिया। इससे इन्द्र का घमंड चकनाचूर हो गया और वह प्रभू की चरणों में आकर गिर पड़ा। कहा कि मनुष्य को शक्ति और सत्ता पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए। शुकदेव ने राजा परीक्षित को इन्द्र व भगवान की कथा का श्रवण कराया। गोर्वधन लीला का वर्णन सुन कथा पंडाल जय श्री कृष्ण के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। इस मौके पर आयोजक अनिरूद्ध पांडेय, बालेन्द्रधर द्विवेदी, बद्री प्रसाद, कमलाकांत, ओम तिवारी, मुन्ना पांडेय आदि लोग मौजूद रहे।

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