बचपना कच्चे घड़े की तरह होता है, बचपन में बिगड़ने पर सुधारने में छक्के छूट जाते हैं, माता-पिता, बूढ़े-बुजुर्गों की सेवा करो

नो कैश काउंटर यानी नि:शुल्क सेवा करो – बाबा उमाकान्त जी महाराज

बुजुर्गों, जो काम आप जानते हो, सब दूसरे को सिखा दो, अभी आपको सिखाने की सेवा मिली हुई है

उज्जैन (म.प्र.)
बच्चों के भविष्य की गंभीरता से चिंता फ़िक्र करने वाले, भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने में लगे, अहंकार से बचने की शिक्षा देने वाले, और परमार्थी भाव से, पूर्णतया नि:शुल्क सभी सेवा कार्य करने और अपने भक्तों से करवाने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने नव वर्ष कार्यक्रम में 1 जनवरी 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बचपना कच्चे घड़े की तरह से होती है। जैसे कच्चे घड़े में कोई भी निशान बन सकता है, चाहे लकड़ी का हो जाए, चाहे पत्थर उड़कर के जाये तो उसी का निशान बन जाता है, धूल मिट्टी अगर आ गई तो खुरदरा हो जाता है। ऐसे ही बच्चों के ऊपर भी असर आ जाता है। इसीलिए उनका ध्यान रखो कि कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं, पढ़ रहे हैं या मोबाइल में ही सिनेमा देख रहे हैं। क्या कर रहे हैं, इसका थोड़ा सा ध्यान रखो। अगर कम उम्र में बच्चे-बच्चियाँ बिगड़ गई तो उनको सुधारने में बहुत दिक्कत आती है, सुधारने में छक्के छूट जाते हैं।

माता-पिता, बूढ़े-बुजुर्गों की सेवा करना मत भूलिए

बाबा उमाकान्त जी ने 7 जुलाई 2017 सांय जयपुर (राजस्थान) में बताया कि आज तक किसी को कोई चीज मिली तो वो सेवा के द्वारा मिली। आज बच्चे जो पढ़ लिख लेते हैं, नौकरी काम में लग जाते हैं, कागज का छपा छपाया नोट जब उनको मिलने लगता है तो माता-पिता की सेवा को भूल जाते हैं। बजाय उनकी सेवा करने के, घर से बाहर निकाल देते हैं, (शिकायत करते हैं कि माता-पिता) अनपढ़ है, कम पढ़े लिखे हैं, यह हमारी सोसाइटी में बैठने के लायक नहीं है। यह सबसे बड़ी भूल और भ्रम है। आपको उनके पास, बुजुर्गों के पास बैठना है, उनसे सीख लेनी है। छोटी-छोटी सीख, बहुत बड़ी तरक्की का रास्ता प्रशस्त कर देती है इसलिए अच्छी चीजें ग्रहण करनी चाहिए।

जो काम आप सब जानते हो दूसरे को सिखा दो

बाबा उमाकान्त जी ने 8 जून 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि जो आप बुजुर्ग लोग हो, जब संगत छोटी थी तब सब काम करते थे। अब आप यह मत सोचो कि हम ही सब कर पाएंगे। एक दिन ऐसा आयेगा कि जब मजबूरी हो जाएगी आपकी, आप किसी को कुछ बता-सिखा भी नहीं पाओगे। कभी ऐसा भी समय आ जाता है जब आदमी बता भी नहीं पाता और (दुनिया से) चला जाता है। तो अभी लोगों को समझाने की, बताने की सेवा आपको मिल रही है। आप उनको समझा दो, ट्रेंड कर दो। अपने इस दुनिया में रहते-रहते सारा काम जो आप जानते हो, उनको सिखा दो। उनके अंदर जो योग्यता है, उससे आप काम ले लो, चाहे वो नये हो या पुराने हो। पुराने आदमी भी अगर आपसे जुड़ना चाहते हो, चाहे पहले वो आप का विरोध किए हो, आपको-हमको गाली ही दिए हो तो उस (बात) को दिमाग से निकाल दो। इधर उत्तर प्रदेश, बिहार की तरफ जब बारात जाती है तब औरतें दूल्हे, दूल्हे के पिता और बरात वाले को इतनी भद्दी-भद्दी गालीयां देती है कि सुनकर के लोग मुस्कुराते हैं। और जब खा करके आ जाते हैं तब हंसते हैं। कोई माइंड करता है? कोई दिमाग में रखता है? नहीं। तो ऐसे समझ लो कि उन्होंने शादी-ब्याह की गाली दिया था। अगर वह हाथ बढ़ावें, आपसे मिलना चाहें, आपके साथ काम करना चाहते हैं तो एतराज मत करो, काम ले लो। लेकिन जो जिसके लायक है उसको वह काम दो, आप धोखा न खा जाओ कि दौड़ करके सब आपका काम करें और एक दिन आपको और आपकी संगत को बदनाम कर दे, ऐसे स्वार्थी आदमी से तो दूरी बनाये रखो लेकिन जिनके अंदर परमार्थी भाव, सेवा भाव है, पहले वो सेवा परमार्थी भाव से आपके, आपकी संगत के विरोध में चले गए थे और अब उनको ज्ञान हुआ है, अब वह आपके साथ आना चाहते हैं तो उनको भी जोड़ लो। क्योंकि अगर देश-विदेश में काम करना है तो आदमियों की जरूरत पड़ेगी। प्रेमियों! अभी तो बहुत काम है। अभी तो जयगुरुदेव नाम का, शाकाहारी का प्रचार पूरे विश्व में नहीं पहुंच पाया है। गुरु महाराज का मिशन तो बताना दूर, उनके बारे में तो जानकारी गहराई से पहुंचाना दूर, जयगुरुदेव नाम जो जान का रक्षक है, सुख शांति देने वाला है, शाकाहार से रोग मुक्ति होने वाली है- यही संदेश अभी तक नहीं पहुंच पाया। हिंदुस्तान के कुछ ऐसे भी गांव है, जहां पर दूसरे प्रदेशों में भाषा का फर्क है, वहां भी यह नाम नहीं पहुंच पाया है।

नो कैश काउंटर, नि:शुल्क सेवा करो

बाबा उमाकान्त जी ने 8 जून 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि लोग कहते थे बाबा लोग मंदिर इनकम के लिए बनाते हैं कि इसकी आमदनी से सब काम कर लेंगे। और यह (महाराज जी) तो अस्पताल बना रहे हैं, इसमें खर्चा ही खर्चा है। और जब यह घोषणा किया गया कि – नो कैश काउंटर यानी यहां कोई भी कैश का, रुपया-पैसे का काउंटर ही नहीं रहेगा, पर्चा बनाने (रजिस्ट्रेशन) का भी कुछ मत लेना, पूर्णतया नि:शुल्क सेवा करो। तब फिर लोग सोचने लग गए कि बाबा लोग तो मांगते ही हैं, खर्च कौन करता है? सोचने पर मजबूर हो गए। अगर आप भी और लोगों जैसा ही काम करोगे तब आप उनसे अलग कैसे रह पाओगे? और सेवा का फल आपको कैसे मिलेगा? दूसरा जो आपको देगा भी, वो आपका सब ले जाएगा। जब आप अपने लिए खर्च करोगे, अपने पास रखोगे। कर्मों का विधान अभी आपको मालूम नहीं है। कर्मों का बड़ा तगड़ा विधान होता है। कर्मों का लेना-देना तो ऐसे चुकाना पड़ता है कि आदमी उसी में पस्त हो जाता है।

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