जब सभी स्वर्गवास लिखते हो तो क्या नर्क बंद हो गया?

भगवान है और मिलता है – बाबा उमाकान्त जी महाराज

मृत्युलोक के ऊपर बहुत सारे कौन-कौन से लोक हैं

रेवाड़ी (हरियाणा)
जहां आसा तहां वासा तो अतृप्त इच्छाओं की वजह से जीवात्मा को मनुष्य शरीर छोड़ने के बाद कहां किन योनियों में भटकना पड़ता है, फिर इसकी मुक्ति कैसे होगी, सब भेद अपने सतसंग में खोलने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 8 फरवरी 2020 दोपहर बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो कबूतर बन करके उसी स्थान, महल पर घूमते रहते हैं। अब आपको पता है कि यह कौन है? कहते हैं पिताजी का, दादाजी का स्वर्गवास हो गया। जितने लोग मरते हैं सबको लोग स्वर्ग ही भेजते हैं तो नरक क्या बंद हो गया? नरक खत्म हो गया? या नरक कोई जाता नहीं है, सब स्वर्ग ही जाते हैं? तो अब वह स्वर्ग गये या नरक गए या कुत्ता-बिल्ली बन करके चारपाई के नीचे आकर के बैठ गए? कौन है? आपको क्या पता। उस समय तो पता था जब आप मां के पेट में थे, तब सब दिखाई पड़ता था लेकिन अब तो आपके अंदर वाली आंख बंद हो गई।

मृत्युलोक के ऊपर बहुत सारे कौन-कौन से लोक हैं

बाबा उमाकान्त जी ने 8 फरवरी 2020 दोपहर बावल आश्रम में बताया कि इस मृत्युलोक से एक दिन सबको बाहर जाना होता है। इसका नाम ही है मृत्यु लोक। इसके ऊपर भी लोक हैं। चंद्रलोक, सूर्यलोक, स्वर्ग लोक, बैकुंठ लोक, शिव लोक, ब्रह्मा लोक, विष्णु लोक, इन तीनों की मां आद्या महाशक्ति का लोक, फिर इनके पिताजी जिनको काल भगवान, निरंजन भगवान कहा गया, उनका लोक। उसके ऊपर ब्रह्मलोक पारब्रह्म लोक, काल महाकाल लोक, सतलोक, अलख लोक, अगम लोक, अनामी लोक बहुत सारे लोक हैं। आप अपने घर में ही रहते हुए ही उन लोकों में आने-जाने लग जाओ, वह रास्ता (नामदान) मैं आपको बताऊंगा जो मनुष्य शरीर के अंदर से, दोनों आंखों के बीच से वह रास्ता गया हुआ है। तो आपको नहीं मालूम है, इसलिए आप इधर-उधर भटकते रहते हो।

मृत्युलोक को छोड़कर सभी लोक उजाले में हैं

बाबा उमाकान्त जी ने 5 जनवरी 2023 सायं नवसारी (गुजरात) में बताया कि जब तक हम देख रहे हैं (यानी जीवित हैं) तब तक हम अपने अंधेरों को दूर कर सकते हैं। नहीं तो आंख बंद करने के बाद फिर उजाला किसी को दिखाई नहीं पड़ता है। कौन सा उजाला? ऊपरी लोकों का उजाला। ऊपर के जितने भी लोक हैं, चाहे देवी के हो, चाहे देवता के हो, चाहे ब्रह्मा विष्णु महेश के, चाहे इनकी मां आद्या के, चाहे इनके पिता के हो, ब्रह्म पारब्रह्म के हो आदि सबके लोक उजाले में ही हैं। केवल इसी मृत्युलोक में ही अंधेरा है बाकी उजाला ही उजाला है उधर। अब कोई सोचे कि हम मरने के बाद उजाले में चले जाएंगे, उनका दर्शन कर लेंगे तो यह हो नहीं सकता है।

अंतर में जीवात्मा की गति किस किस तरह से होती है

बाबा उमाकान्त जी ने 9 फरवरी 2020 दोपहर बावल आश्रम में बताया कि इस मनुष्य शरीर में जीवात्मा रहती है तो इसकी चाल चींटी की तरह रहती है। और जब इससे आगे बढ़ने पर इसकी चाल मछली की तरह हो जाती है। फिर मकड़ी की तरह होती है। मकड़ी जैसे जाला लगाती है, उस तार पर तेज चलती है। (उपर की तरफ बढ़ते समय) सहस्त्र दल कमल और त्रिकुटी के बीच में एक स्थान ऐसा आता है जहां यह बंदर की तरह उछलती है। जैसे बंदर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाकर पहुंच जाता है। और उसके बाद जब त्रिकुटी में पहुंचती है तब चारों शरीर छुट जाते हैं। यह जल पृथ्वी अग्नि आकाश वायु का बना पंच भौतिक शरीर, इसके अंदर लिंग शरीर, सुक्ष्म शरीर और पांच तत्वों रूप रस स्पर्श गंध का कारण शरीर जब छूटता है तब शब्द पकड़ में आ जाता है। तब सुरत की गति विहंगम, बड़ी तेज हो जाती है, पक्षी की तरह उड़ने लगती है। और मानसरोवर में स्नान करने के बाद तब कोई रुकावट नहीं होती है। फिर तो सतलोक में जाए, अलख में जाए, अनामी में जाए, कहीं भी जाए कोई रोक-टोक नहीं रहती है। वहां सारी पहचान खत्म हो जाती है। पहचान तब तक ही रहती है जब तक यह पता न चल जाए कि यह सतलोक पहुँच गए। तब तक गुरु साथ रहते हैं। सतलोक पहुंचने के बाद वह भी फिर अलग हो जाते हैं। फिर न गुरु न चेला, सब मे बोले एक अकेला।

भगवान है और मिलता है

बाबा उमाकान्त जी ने 8 फरवरी 2020 दोपहर बावल आश्रम में बताया कि पाप करोगे तो नरक जाओगे। लेकिन पाप अगर किसी के शरीर से बन ही गया तो नरक से बचत कैसे होगी? जब कोई जानकार मिलेगा तभी तो बताएगा। ऐसे ही भगवान है, और मिलता है। बहुत से लोगों को मिला। इसमें (आये हुए भक्त गणों में) भी कई ऐसे लोग हैं जो साधना करते हैं और जिनको उनकी अनुभूति होती है। यह जरूर है कि वह बताते नहीं है लेकिन जिनको थोड़ी भी जानकारी है वैसे ही देख कर बता देते हैं। यह साधक है। जैसे जिसको थोड़ा बहुत भी डॉक्टरी करने का अनुभव है, भले ही एम डी न हो, कहीं दो-चार महीना भी ट्रेनिंग कर लिया हो, किसी (सीनियर) के पास रह लिया हो तो चेहरा देखकर अंदाजा लगा लेता है कि इसको कुछ तकलीफ है। तो जब जानकार मिलते हैं तभी रास्ता बताते हैं।

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