श्रावस्ती में बुद्ध ने अकेले ध्यान लगाया तपस्या किया, आप इतने लोगों ने भी ध्यान लगाया तपस्या किया, आपका भी इतिहास बनेगा

साधना करने से उस जगह की धरती में ताकत आती है और वो मशहूर हो जाती है, इतिहास बन जाता है

श्रावस्ती (उत्तर प्रदेश)
निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, आध्यात्मिक साधना में तरक्की देने वाले, वक़्त के परम सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 16 अप्रैल 2023 प्रात: श्रावस्ती (उ.प्र) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव की अपार दया से बुद्ध भगवान की तपस्वी भूमि श्रावस्ती में भारी संख्या में अपने लोगों को एक साथ बैठ करके सुमिरन ध्यान भजन करने का मौका मिला। इसका भी एक इतिहास बनेगा। लोग याद करेंगे कि इतने प्रेमी, भक्त यहां पर आए थे और बैठकर भजन किए थे।

तपस्वी भूमि होने के कारण यह भूमि प्रसिद्ध हुई

यहां पर उन्होंने बैठ करके तपस्या किया था। इसी तरह से ध्यान लगाया था जैसे आप लोगों ने ध्यान लगाया। वह तो अकेले थे, उनका इतिहास बना। आप इतने सारे लोग बैठ कर के यहां पर तपस्या किए, इस भूमि को आप लोगों ने जागृत किया, जगाया है। जहां पर बैठ कर के भजन किया जाता है, वह धरती जगती है, उसमें चेतन्यता आती है। जब सुरत (जीवात्मा) इस पिंडी दसवां द्वार को जड़ शरीर को छोड़ करके निकलती है, चेतन आत्मा ऊपर जाती है, कैसे जाती है? धार को पकड़कर जाती है। और जब लौट कर के फिर इसी शरीर में आती है तो जहां बैठकर के साधना करते हैं, उसमें ताकत आती है। ऊपर से धार निकलती है, शरीर में हो करके धरती में जाती है तो धरती में भी जागृति आ जाती है।

जैसे खेत को उर्वरा करने के लिए खाद डालते ऐसे ही साधना से धरती जागती है

अब भी लोगो को कहीं कोई काम करना होता है तो भूमि पूजन करते हैं। ताकि इसमें जागृति आ जाए। जैसे खेती में जमीन को उर्वरक बनाने, उर्वरा शक्ति, ताकत लाने के लिए जमीन में खाद डालते हो, ऐसे ही साधना करने से उस जगह की धरती में ताकत आती है और वही जमीन धरती बाद में मशहूर हो जाती है, उसी का इतिहास बन जाता है।

हमेशा बुरे लोगों का हुआ है खात्मा और अच्छे लोगों का बना है स्टाचू

जो घटनाएं घटती हैं, काम होता है, वह लिखा-पढ़ी में जब आ जाता है तो उसी को लोग पढ़ते हैं। अच्छे-बुरे दोनों लोगों का इतिहास बनता है। हमेशा अच्छे और बुरे दोनों रहे हैं, दोनों टकराए हैं और बुरे लोगों का खात्मा हुआ है। बुरों का अंजाम बुरा हुआ है। अच्छे लोगों की पूजा हुई है, स्टाचू, मंदिर बना है। इससे लोगों को क्या शिक्षा मिलती है? कि भाई अच्छा कर्म ही करना चाहिए, बुराई से दूर रहना चाहिए।

आदेश का पालन जो कर नहीं पाते वह रह जाते हैं पीछे

प्रेमियों ये समय और स्थान जीवन में यादगार रहेगा कि इतने लोग एक साथ बैठ कर के सुमिरन ध्यान भजन किए थे। फिर यह जीवन में अवसर नहीं आएगा। जो समय निकल जाता है, वह वापस नहीं आता। इसलिए समय से चूकना नहीं चाहिए, मौके का फायदा उठाना चाहिए। जो लोग चूक जाते हो कि क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है, आदेश का पालन जो नहीं कर पाते हैं, वही लोग पीछे रह जाते हैं, इसी चौरासी में चक्कर काटते रह जाते हैं। कहने का मतलब यह है कि लाभ उठाना चाहिए, समय को निकलने नहीं देना चाहिए। हाथ से समय निकल गया तो समझ लो सब निकल गया। समय से काम करने वाले कभी भी पीछे नहीं रहते है।

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