बाबा जयगुरुदेव के 15 से 17 मई वार्षिक भंडारा कार्यक्रम उज्जैन में सबको सपरिवार सादर आमंत्रण

सन्तों के पास से कोई खाली नहीं लौटता, आने में लगी मेहनत, किराये से कहीं ज्यादा मिलेगी दया

नवसारी (गुजरात)
जिनके पास से कोई खाली नहीं लौटता, आने-जाने में लगे किराये भाड़े से कहीं ज्यादा दया देने वाले, दुनिया की छोटी चीजों के साथ साथ आत्मा का धन भी देने वाले, बड़ी सोच रखने की प्रेरणा देने वाले, दया से अपनी तरफ खींचने वाले, स्वावलंबी बनाने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 24 अप्रैल 2023 सांय नवसारी (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सन्तों के पास कोई जाता है तो खाली नहीं लौटता है। कुछ न कुछ सबको वह देते हैं। जिसको जैसा भाव प्रेम श्रद्धा रहता है, उसको वह चीज मिलती है। कोई छोटी चीज मांगता है। और कोई जानकारी होने पर बड़ी चीज मांग लेता है। जैसे जो जानता है कि चांदी कीमती है वह चांदी ही मांगेगा। जो सोना जानता है जिससे काफी चांदी खरीदी जा सकती है तो वह कहेगा सोना दे दीजिए। हीरे के बारे में जानने वाला हीरा मांग लेगा। ऐसे ही सन्त जिनके पास रत्न हीरा मोती की खान खदान होती है, ऐसा बेशकीमती हीरा उनके अंदर होता है। तेरी हीरे जैसी काया तो जल जाएगी मना। अंदर हीरा रहने पर डिब्बी की भी कीमत रहती है, उसे संभाल कर रखते हैं, कहीं गिर न जाए, कोई ले न जाए। हीरा निकलने के बाद डिब्बी की कोई कीमत नहीं रह जाती है। ऐसे ही सन्त में पावरफुल ताकतवर कीमती आत्मा रहती है। गुरु महाराज जैसे सन्त पावरफुल आत्मा थी। हीरे के जानकार कम मिलते हैं। बाकी छोटी-छोटी चीजों की जानकार होते हैं। तो छोटी चीजों को मांगने के लिए, तकलीफ बीमारी झगड़ा-झंझट को ख़त्म करने के लिए, दुकान चल जाए, आदि चीजों से दु:खी लोग पहुंचते हैं और उनसे छोटी चीज मांग लेते हैं और सन्त देते भी हैं। अब वह तो यही समझता है कि बाबाजी के पास जाने से बीमारी ठीक हो जाएगी, झगड़ा झंझट खत्म हो जाएगा, बिमारी तकलीफ दूर हो जाएगी, दुकान चल जाएगी, नौकरी में तरक्की हो जाएगी, बच्चे यही सोचते हैं कि पढ़कर पास हो जाएंगे तो उतने तक ही सीमित रह जाते हैं। और जो बराबर जाते रहते हैं, उनकी तकलीफ दूर हो जाती है, उसके बाद भी जाते रहते हैं। कुछ तो मतलबी यार होते हैं। मतलब निकल गया तो पहचानते ही नहीं है। फिर जब ठीक हो गए तब कहते हैं कि अब क्या जरूरत है जाने की। कहते हैं गंजेड़ी यार किसके, दम लगाकर खिसके। गांजा पीने वाले किसी के साथी नहीं होते। ऐसे ही मनमुखी स्वार्थी भगत कभी भी बड़ी चीज नहीं पा सकता है। वो छोटी चीजों के लिए ही दौड़ता रहेगा। उसी में अक्ल लगता रहेगा, उसी को पाने की इच्छा रखेगा। और पूरी होने पर दूसरी तरफ मन चला जायेगा जैसे धन हो गया तो अब व्यापार कर लूँ, साथी आदमी बन गए तो इलेक्शन लड़ कर कुर्सी पर बैठ जाऊं। उधर दुनिया की चीजों की तरफ मन चला जाता है।

गुरु की दया ही खींचती है

सतसंग में जाना, कहीं अच्छे काम के लिए जाना, अच्छा काम करना, जो गुरु आदेश देकर के गए, भजन ध्यान प्रचार प्रसार सेवा करने का, उसको यह मन जल्दी करने नहीं देता है। मन जहां 24 घंटे लगा हुआ है, उसी काम में लगाए रहता है। तो यहां कुछ लोग ऐसे मिल जायेंगे जिनसे अगर पूछा जाए तो कहेंगे कि मन नहीं कह रहा था कि चले, न चले लेकिन आपको गुरु की दया खींचकर के ले आई। मतलब दया ही खींचती है, दया से ही होता है। यदि दया के घाट पर न बैठा जाए तो दया कहां से मिलेगी। प्यास लगने पर कुए नल के पास नहीं जाओगे तो पानी कहां से मिलेगा। जैसे भूख लगी है, कोई कह रहा है कि जाओ, जयगुरुदेव बाबा का भंडारा चल रहा है, कोई पैसा नहीं देना है। तो जाओगे तभी तो पेट भरेगा। ऐसे ही एक आदत बनानी पड़ती है। तो (भवसागर से) निकलना बड़ा मुश्किल होता है। (अपने देश वतन) पहुंचना बड़ा मुश्किल होता है बगैर दया के।

आपका भंडारे पर आने में किराया भाड़ा जितना लगेगा उससे ज्यादा गुरु महाराज आपको दया देंगे

महाराज जी ने 23 अप्रैल 2023 प्रातः बुराड़ी (नई दिल्ली) में बताया कि मैं दूसरों के लिए जो प्रार्थना करता हूं, गुरु महाराज उसकी सुनवाई करते हैं। तो आप आओगे आपका हाथ पैर आंख कान जो भी काम में लगेगा, आने में जो भी किराया भाड़ा खर्चा होगा, उससे ज्यादा गुरु महाराज आपको दया देंगे। इसके लिए मैं गुरु महाराज से प्रार्थना करूंगा। तो आप लोग तैयारी करो। जो लोग आते हो आप लोग आओ ही। जो सेवादार पहले सेवा करने, व्यवस्था बनाने के लिए पहुंच जाती हो, वह लोग तैयारी कर लो, करा दूँ।

स्वाबलंबी सदा सुखी

महाराज जी ने 16 अप्रैल 2023 प्रातः श्रावस्ती में बताया कि स्वाबलंबी सदा सुखी। स्वाबलंबी जो अपना इंतजाम स्वयं रखता है, वह हमेशा सुखी रहता है। गांव में कहावत है- गठ्ठर गुद्दड वाले सोवें और मर्जात वाले रोवे। जो बढ़िया कपड़ा पहने हुए‌ ऐसे ही खाली हाथ किसी के यहां यात्रा में पहुंच जाते हैं वो ऐसे ही रहते हैं, रात भर बैठे ठंडी में ठिठुरते रहते हैं। और जिसके पास जो भी गठरी गुद्डी रजाई कंबल साथ में होता है वो आराम से घोड़ा बेच करके सोता है। जो ठिठुर रहा तो इंतजाम अपना कुछ न कुछ रखना चाहिए। गुरु महाराज भी कहते थे एक मोमजामा पतला वाला तिरपाल अपने साथ जरूर रखो। बड़े काम की चीज है, बिछा लो, ओढ़ लो, जरूरत पड़े तो पहन के नहा लो। गर्मी में बिछाने, धूप में ऊपर से टांगने, बरसात में बारिश से बचने के काम आती है। जैसे गाड़ी में स्टेपनी का पहिया होती है, कहीं भी फिट कर दो, ऐसे ही मोमजामा होता है। रखना चाहिए। एक बर्तन पानी का भी रखना चाहिए, जिसमें पानी रहे। पानी की कमी है, भर कर के रख लो। पीते रहो, किसी को पिला दो, लेट्रिन में भी काम आ जाता है। थोड़ा बहुत चना, सत्तू, चिवड़ा बना बनाया है तो पेट में डाल दो तो यह (भूख रूपी) कुत्तिया चुप हो जाएगी। भूखे आदमी को गुस्सा बहुत आता है। अंदर से गुस्सा पैदा होता है। खा पी लिया तो गुस्सा शांत हो जाता है। ऐसे ही कुतिया भूँकने लगती है इसीलिए कुछ न कुछ (खाने) का रखना चाहिए। भूखे का नमक चबैना, नमक डाल कर थोड़ा पानी पी लो तो भी थोड़ी देर के लिए आराम मिल जाता है। स्वाबलंबी सदा सुखी। अपना चद्दर, ओढ़ने-बिछाने का रख लिया। अपनी जरूरत की चीजें छोटे से झोले में रख लिया, कोई दिक्कत नहीं, कहीं भी रहो, किसी भी हालत में रहो।

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