अव्यवस्था का शिकार है,मसूरिया माता का प्राचीन मंदिर, मेंला आयोजन होने पर भी प्रशासन ने नही ली सुध

आर पी यादव ब्युरो चीफ कौशाम्बी

कौशाम्बी। सैकड़ो वर्षो से चली आ रही मेला की परंपरा अब अपना वजूद खोती जा रही है। कारण सिर्फ प्रशासन की अनदेखी है। जहां लोग मसूरिया माता के दर्शन करने के साथ-साथ मेला घूमने का आनंद लेते है और कई परिवार माता के स्थान पर भोजन बनाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण भी करते है। जिले के नेवादा ब्लाक अंतर्गत ग्राम सभा किशुनपुर अम्बारी में प्राचीन मसूरिया माता का मंदिर स्थित है।इस मंदिर के अंदर स्थापित माता मसूरिया देवी की काफी मान्यता है। यहाँ पर सोमवार और शुक्रवार को मेला लगता है। दूर-दूर से लोग यहाँ माता के दर्शन के लिये आते है। शादी से लेकर मुंडन तक इस मंदिर में लोग बधाई लेकर आते है। हजारो की संख्या में भीड़ जमा होती है। इसके बाद भी मेले के अंदर सफाई नाम की चीज नही है चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है। चारो तरफ बड़े बड़े घास फैली है। सरकार द्वारा बनवाया गया शौचालय ध्वस्त हो चुका है जिसमें ताला लगा रहता है। मेला क्षेत्र में इतनी ज्यादा गंदगी है कि वहां से बदबू आती है।

अब जरा सोचिये कि यदि किसी को शौच की आवश्यक्ता पड़े तो वह कहा जाए। पानी की दो-दो टंकिया बनी है लेकिन वह भी बंद पड़ी है।यहाँ तक कि टोटी भी गायब है।दर्शनार्थियों के लिये बारादरी बनाई गई है जिसमे जगह कम पड़ती है। मंदिर मेले में दुकान बनाए गए है जिसमे ताला लटकता है। दर्शनार्थी कहते है कि जिम्मेदारों किस मंशा से कार्य कर रहे है समझ के परे है। मेले के पीछे दरवाजा लगा हुआ है जिसपर भी ताला लटक रहा है। वहीं मेले की वसूली करने वाले से जानकारी मिली कि हर वर्ष मेले का ठेका होता है इस वर्ष भी ग्राम प्रधान द्वारा डेढ़ लाख का ठेका हुआ है। मुंडन के लिये प्रति व्यक्ति 51 रुपये वसूला जाता है। प्रति अस्थाई दुकानदारों से 10 रूपये लिया जाता है। रोशनी के नाम पर सोलर लाइट लगाई गई जिसमें के सारे बैटरी गायब है।हाई मास्क लाइट भ बन्द पड़ी है।यदि आवस्यकता पड़ जाय तो रोशनी के नाम पर मेला प्रांगण शून्य है।मेले के अंदर बने दुकानों का किराया कौन लेता है।क्या केवल एक ब्यक्ति के लिये दुकान बने है।आखिर मेले से आय हुए पैसो का क्या होता है।
सुरक्षा के नाम पर कोई बेवस्था नही।**
दो दिवसीय मेले में सुरक्षा के नामपर कोई बेवस्था नही रहती न कोई प्रशासन और नाही मेडिकल।
सच्चाई तो यह है कि अंधे पीसे और कुत्ते खाय के तंज पर चल रहा है किसुनपुर अम्बारी का मेला।

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