गर्व से कहो हम शाकाहारी है और शाकाहार के बारे में बोलो

हंस-हंस कंत न पाईया, जिन पाया तिन रोय

बावल (रेवाड़ी)
जान-अनजान में बने पुराने पापों गलतियों की सजा से बचने का उपाय बताने वाले, जीते जी प्रभु को प्राप्त करने का उपाय नामदान देने वाले, दुनिया की नश्वरता को समझाने वाले, शाकाहारी नशामुक्ति का प्रचार करने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, लोकतंत्र सेनानी, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जीमहाराज ने 14 फरवरी 2021 पेंड्री आश्रम, दुर्ग (छत्तीसगढ़) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जब महाभारत का युद्ध खत्म हो गया तब लोगों ने उडुपी के राजा साहब से पूछा, यह बताओ आपको रोज अंदाजा कैसे लगता था कि आज इतने ही आदमियों का खाना बनाना है? क्योंकि युद्ध में बहुत लोग मरते थे। आपको रोज-रोज लोगों के मरने का अंदाजा कैसे लगता था? तब बोले, कृष्ण मूंगफली खाते थे। सोने के लिए जब जाते थे तो मैं वहां मूंगफली गिन करके रख देता था। जितनी मूंगफली खा लेते थे यानी कुल संख्या में से जितनी कम रहती थी तो एक दाने के पचास हजार के हिसाब से मैं अंदाज लगा लेता था (कि कल इतने लोग मरेंगे। काल रूप मैं तिन कर भ्राता, शुभ अशुभ कर्म फल दाता। अवतारी शक्तियों में दयाल और काल दोनों अंग होते हैं लेकिन सन्तों में केवल दया का अंग होता है, और पुरानी गलतियों पापों की सजा देने के बदले माफ़ करने की शक्ति होती है)

हंस-हंस कंत न पाईया जिन पाया तिन रोय

महाराज जी ने 9 दिसंबर 2020 प्रातः बावल रेवाड़ी में बताया कि एक आदमी ने खेत में रोपाई करते बुल्ला शाह से पूछा भगवान कितनी देर में मिलता है? एक पौधा निकाले और दूसरी तरफ लगा दिया, कहा इतनी देर में। लेकिन ऐसे नहीं। कबीर साहब ने कहा, हंस हंस कंत न पईयां, जिन पाया तिन रोये। हंसी खेले जो मिले कौन दुहागन होये। अभी कोई नुकसान हो जाए, भोजन न मिले, कोई काम बिगड़ जाए, लड़के को कुछ हो जाए, परिवार में कुछ हो जाए, चोरी हो जाए तो आदमी रोता चिल्लाता दु:खी होता है लेकिन प्रभु को पाने के लिए कुछ भी प्रयास नहीं। उस प्रभु की याद भी नहीं आती है। एक घड़ी आधी घड़ी, उतनी देर में ही अगर उसको (ह्रदय से) पुकार लो तो वहां सुनवाई हो जाती है। और आपको नाम दे दिया गया है, उस नाम से पुकारोगे तो सीधा उसके कान में आवाज पड़ेगी और वह देखेंगे।

छूत की बीमारी में घर के लोग मुर्दा जलाने भी नहीं जाते हैं

महाराज जी ने 4 मार्च 2019 प्रातः लखनऊ में बताया कि समय परिस्थितियां बदल देती है। यदि अभी ऐसी बीमारी चल जाए जो मांसाहारीयों को ही हो, उन्ही को कीड़े पैदा हो। छूत की बीमारी में घर का भी कोई आदमी सेवा नहीं करता, मुर्दा जलाने नहीं जाते, कि कहीं हमको भी न हो जाए। जब सब की दाढ़ी में आग लगती है तो सब अपनी-अपनी बुझाते हैं। तो पड़े तरसते रहोगे या नहीं? इसलिए प्रार्थना करता हूं, आप सब लोग शाकाहारी हो जाओ। जब बीमार पड़ जाओगे तब क्या देश की सेवा कर पाओगे? सब से कहता हूं कि शाकाहारी की जरूरत सबको पड़ेगी। अभी कोई भी सत्ता में रहे और बीमारी फैले, मांसाहारी को हो जाए और सब मंत्री बीमार हो जाए तो देश कौन चलाएगा? तब तो विपक्ष में बैठे अनुभव वाले दूसरी पार्टी के शाकाहारी लोगों को बुलाना पड़ेगा, उनकी जरूरत पड़ेगी। तो जरूरत तो सबको है।

गर्व से कहो- हम शाकाहारी हैं और शाकाहार के बारे में बोलो

आप जितने भी शाकाहारी हो, शर्माने की जरूरत नहीं है कि धीरे से बोलो कि हम शाकाहारी हैं। गर्व के साथ कहो, हम शाकाहारी हैं। हम नशे का सेवन नहीं करते हैं। दुकान दफ्तर विधानसभा पार्लियामेंट, जहां पर भी बैठते हो, वहां पर कहो और जो भी लोग आप उपदेश करो, सब जगह लोगों को समझाओ बताओ प्रवचन भाषण करो, थोड़ा बहुत शाकाहारी पर जरूर बोलो। यथा संभव, जहां जैसे बोलने लायक है। सुनकर के, समझकर के लोग बदलते हैं। इतने लोग देखो कैसे बदल गए। देखोगे तो इन्हीं (आई हुई भक्तों की भारी भीड़ में) आपको ऐसे-ऐसे लोग मिल जाएंगे जो दस क्विंटल मछली खा गए लेकिन अब बदल गए।

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