पत्रकारों के समस्याओं के निदान हेतु भेजा गया पत्र, अनदेखी हुआ तो न्यायालय जाएगी ‘ऐप्रवा

पत्रकारों के समस्याओं के निदान हेतु भेजा गया पत्र, अनदेखी हुआ तो न्यायालय जाएगी ‘ऐप्रवा’ :-

ऑल इंडिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन (ऐप्रवा) के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार आचार्य श्रीकांत शास्त्री ने देश के समस्त पत्रकारों के समस्याओं के संबंध में एवं उसके निदान हेतु रजिस्ट्रार आर.एन.आई. को पुनः पत्र लिखा, पत्र में यह भी लिखा है कि यदि जल्द सुधार नहीं किया गया तो ऐप्रवा परिवार न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।

शास्त्री जी का कहना है कि जिस प्रकार से आर.एन.आई. कार्यालय द्वारा मनमानी किया जा रहा है और पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है यह कृत्य बहुत ही चिंतनीय है, जिसके संबंध में “ऐप्रवा” द्वारा कई बार विभिन्न स्तर पर पत्र लिखा गया, जिसका उत्तर भी उनके द्वारा मनगढ़ंत रूप से दिया जाता रहा है जो बहुत ही खेद का विषय है और सरकार को बदनाम करने की साजिश है।

शास्त्री जी ने यहां यह भी कहा कि जिस प्रकार से पिछले दो वर्षों से कोरोना के नाम पर समाचार पत्रों के पंजीकरण, शीर्षक स्वीकृति व संशोधन पंजीकरण प्रमाणपत्र के प्रकरण मे गोल-गोल करके देरी की जा रही है, और लंबित प्रकरणों को और लंबित किया जा रहा है, जो बहुत ही खेद का विषय है, इस पर शास्त्री जी ने आर एन आई को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि पत्रकारों के मान सम्मान के साथ, उनके सभी समस्याओं का समयबद्ध निष्पादन करने की तत्काल व्यवस्था नहीं किया गया तो ऐप्रवा देशभर में आंदोलन करने के साथ-साथ न्यायालय में भी जाएगी।

साथ ही शास्त्री जी ने यह भी कहा पत्रकारों की समस्याओं के लिए ऐप्रवा दशकों से पत्रकारों के हित में कार्य कर रही है, यदि उपरोक्त पत्र में अनदेखी किया गया तो जिस प्रकार से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के धांधली के खिलाफ एवं उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति गठन में हो रही देरी के खिलाफ ऐप्रवा द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर पत्रकारों के हित में न्याय पाया गया है उसी तरह से इसमें भी अनदेखी की गई तो ऐप्रवा द्वारा न्यायालय में याचिका दाखिल कर न्याय पाने का प्रयास किया जायेगा।

शास्त्री जी ने यह भी बताया कि आर.एन.आई. ने जिस प्रकार से मनमानी किया है उससे देश के हजारों समाचार पत्रों का डाटा RNI की वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं हो रहा जिसके कारण संबंधित प्रकाशक अनिश्चिता की स्थिति में है। यह बहुत ही चिंताजनक विषय है और इनकी मनमानी को दर्शाता है, इसी प्रकार से इनके द्वारा समाचार पत्रों के पंजीकरण प्रमाण पत्र में दर्शाये विवरण व RNI के डाटाबेस में काफी भिन्नताएं हैं, जिससे वार्षिक रिटर्न भरने अथवा संशोधित पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने में प्रकाशकों को काफी दिक्कत आ रही है। इसी प्रकार से इनके द्वारा मनमानी किया जा रहा है जो लोकतंत्र के लिए स्वस्थ संकेत नहीं है। उपरोक्त समस्याओं के सुधार के लिए इनके द्वारा बनाए गए नियम भी इस कहावत पर आधारित है (“आंधर बाध बरे, पड़वा चबाए जाए”) इसके लिए सरल प्रक्रिया अपनाई जाए और पत्रकार अपने प्रपत्रों के साथ ऐसे आवेदन कर सके और वो स्वीकार हो जाए साथ ही समाचार पत्रों के प्रकाशको, पत्रकारों को बिना किसी टोकन नियम के उच्च अधिकारियों से मुलाकात होने की व्यवस्था किया तथा टाइटल की स्वीकृति के बाद शीर्षक पंजीकरण कराने के लिए पूर्व की भांति ही अवधि रखी जाए।
जिन समाचार पत्रों को वार्षिक विवरण जमा ना करने पर ब्लॉक कर दिया है उन्हें एक बार शुल्क के साथ जमा करने का अवसर दिया जाय। आर.एन.आई. द्वारा तत्काल उपरोक्त पत्रकारों एवं प्रकाशकों के समस्याओं पर विचार नहीं किया गया तो “ऐप्रवा”, देशभर में जन आंदोलन के साथ उपरोक्त सारी समस्याओं के संबंध में न्यायालय जाएगी।

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