कौशाम्बी में मिलाते है बादशाहो के जंग के चिन्ह

रिपोर्ट–आर पी यादव ब्यूरो चीफ


कौशाम्बी राजा उदयन की नगरी की एक अजीबो दस्ता है जिसमे से आज हम आपको ले चल रहे हैं मुरचौरा नगरी जो 1400ईसा पूर्व उलाचुपुर के मजरा खालिसपुर और सन्जेती आमद करारी के मध्य बसी हुई थी गंगा नदी के किनारे बसे इस नगरी से दिल्ली से दौलताबाद आयात और निर्यात एक नगरी से दूसरी नगरी जलमार्ग से हुआ करता था इस नगरी के जमीदारी प्रथा के समय के बादशाह का नाम था नवाब खाँ। नवाबखाँ साहब अपने वसूल के बहुत ही पक्के और नमाजी इंसान थे फिजूल की बकवास कत्तई नही पसंन्द करते थे।

बताते चलें कि एक बार की बात हैहुआ यू कि इदायत खाँ के कुछ आदमी लगान लेने नवाब खाँ की नगरी में आये क्योकि इदायत खाँ के पास कौशाम्बी नगरी के इर्द गिर्द बसे हुए पांच जिलो की मिलिकीयत की बादशाही थी इदायत खाँ के सिपाही बिना परमिशन नगरी के अन्दर प्रवेश कर किया जो नवाब खाँ को अच्छा नहीं लगा तो वे इदायत खाँ के सिपाहियों को बाहर नगरी से बाहर कर दिया इस बात को लेकर नवाब खा और इदायत खाँ में जंग छिड़ गई जिसमें सैकड़ो सिपाही सहित नवाब खा को भी मौत के घाट इदायत खा ने उतार दिया ।जिसके आज भी इस नगरी के बने मिट्टी के टीले में सिपाहियों के हड्डी तथा खोपड़ी निशान मिल रहे हैं ।

इस मुरचौरा नगरी में एक प्राचीन मजार भी बनीहुई है जहाँ पर नौचन्दी जुमेरात को हजारों लोग दर्शन करने के लिए आते है जहाँ उनकी मन की मुरादे पूरी होती है।

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